आखें मींच के सो के उठना ,
उठते ही वो चेहरा ढूढ़ना ;
दिन में उसकी यादों से यारी ,
रातों को आखों में वारी ;
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सोचों में अब भी वो रहती ,
सपनों में अब भी वो दिखती ;
उसकी झलक को आखें तरसी ,
दिल में मेरे अब भी वो बसती ;
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राह न दिखती चाह की कोई ,
आभास नहीं है आस ना कोई ;
पागल मन उन्मुक्त सा खोजे ;
डोर न मिलती प्यार की कोई ;
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खोजूं मै निगाहें वही ,
जानू केवल बाहें वही ;
अँधियारा कितना भी फैले ,
चाहूँ मै आभासें वही /
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आखें मींच के सो के उठना ,
उठते ही वो चेहरा ढूढ़ना ;
दिन में उसकी यादों से यारी ,
रातों को आखों में वारी ;
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