ONLINE HINDI JOURNAL
Saturday, 27 March 2010
ऐ मोहब्बत
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तेरी मोहब्बत के निशा बाकि है ;
आखों
में आंसूं ,
तन्हाई
का कारवां बाकि है ;
भूलूं भी कैसे तेरी मेहरबानियाँ ,
ऐ दर्दे मोहब्बत तेरा बयां बाकि है /
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