रहता है मेरे दिल में,
मगर उसे मिलूं कैसे ;
खिले कमल की पंखुड़ियों को छुयूं कैसे ,
तेरे सपनों को आगोस में भर लूँ ,
तेरा झिझगता विश्वास है,
मै उसको छुयूं कैसे ;
तेरी उलझन सुलझा मै दूँ
तेरी दुविधाओं को मान भी लूँ ,
तेरा इकरार जिऊ कैसे ?
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...
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