फ़िर तुम्हारी याद आ रही है ,
पुरानी बातें मुझे साल रही हैं ।
जो भी पल साथ बीते थे,
यादे उन्ही को दुहरा रही हैं ।
बहुत दूर निकल आया हूँ लेकिन,
हर जगह तू ही नजर आ रही है ।
मिलो गी फ़िर कभी तो,
अजनबी बन कर रहोगी ।
पास होकर दूर जाने का,
एहसास देती रहोगी जिन्दगी भर ।
गलती हमारी नही,
वक्त हमारा नही रहा,
जो सोचा था ,वैसा कोई सपना अब अपना ना रहा ।
तेरे बारे me जब भी सोचता हूँ,
अपने को सजा देता हूँ ।
अब बिना तेरे,
जिन्दगी की लाश को ,
अपनी साँसों पे लिए फिरता हूँ।
में तेरे बिना अब ,
अपने बगैर भी जीता हूँ ।
तुमसे कह नही सकता लेकिन,
तुम्हें बहुत याद करता हूँ ।
Thursday, 10 September 2009
याद आ रही है ---------------
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हिन्दी कविता hindi poetry
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