केशों से ढलकता पानी है ;
रिमझिम बरसते मौसम की अजब रवानी है ;
महकते फुल हैं ,मदहोशी का शमा है ;
भीगा बदन ,गहरी सांसें अरमां जवां है ;
झिझकती काया है ,उफनते जजबातों की माया है ;
कामनाएं फैला रही हैं अपने अधिकारों को ;
संस्कार की रीतियाँ रोक रही है भावनावों को ;
मन उलझा हुआ है , तन बहका हुआ है ;
डर रह रह के उभर आता है सीमाएं टूट न जायें ;
अरमां आगे बडाते हैं ये लम्हा छुट न जाए ;
स्वर्गिक अनुभूति है पर ज़माने की भी कुछ रीती है ;
प्रिती प्यासी है ख़ुद पे बस कहाँ बाकी है ;
झिझक ,तड़प ,प्यास ,विस्वास ,खुशियाँ और उदाशी हैं ;
आंनद बिखरा पूरे माहोल में है ;
वो सिमटा मेरे आगोस में है ;
मन झूमा तन आह्लादित है ;
बिजलियाँ कौंध रही मनो उल्लासित हैं ;
ह्रदय में द्विक संगीत सा बज रहा है कुछ ;
प्यार की जीत है , बंधन और दूरी झूट है ;
प्यार भी इक पूजा है ,इसके बिना जीवन अजूबा है ;
मिलन भी एक सच है , इश्क भी इक रब है ;
अरमान विजीत है , मन हर्षित है ;
धरती महक रही भीनी खुसबू से ;
पेडों की हरियाली अदभुत है ;
एक अनोखी अनुभूति है छाई ;
वो अब भी है मेरे बाँहों में समाई /
क्या उत्सव है ,क्या है ये लम्हा ;
सांसों का सांसों में मिलना ;
रुक जा वक्त अनमोल ये लम्हा ;
क्या सच है ये ; या है इक सपना /
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