आज कल सामाजिक सरोकारों की बात करना एक फैसन हो गया है। समाचार चैनलों की बात करे तो जी न्यूज़ पे पुन्यप्रशून वाजपेयी जी अक्सर यही जुमला सुनाते रहते हैं। लेकिन वे ख़ुद इस सन्दर्भ मे क्या करते हैं ये वो ही जाने ।
कुछ दिनों पहले फणीश्वर रेणु की धर्म पत्नी लतिका रेणु की ख़बर दिखाकर एन .डी.टीव्ही । इंडिया ने भी सामाजिक सरोकारों का रोना रोया.आप को याद होगा की वर्ष २००७ का साहित्य अकादमी पुरस्कार को प्राप्त करने वाले कथाकार अमरकांत की आर्थिक स्थिति को लेकर भी काफ़ी अपील हुई और सामाजिक सरोकारों कई नाम पे कागज रंगे गये ।
आप इन बातो को कैसे देखते हैं ?
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ताशकंद संवाद: उज़्बेकिस्तान से प्रकाशित पहली ई पत्रिका
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aapne apne is chhote se lekh mein kafi badi baat kah di hai Dr. Sahab.
ReplyDeleteShukriya qubool karen.