मीडिया जो चाहे लिखे,कहे,दिखाये और बताये उसको पूरी आजादी है । फ़िर देश की आम जनता की औकात ही क्या है ? यह बात राज ठाकरे वाले मामले से आसानी से समझा जा सकता है ।
अपनी राजनीतिक जमीन तलास कर रहे राज ठाकरे ने ऐसा कुछ नही किया जो इस देश की राजनीत के लिये नया हो । उन्होने बस अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढाया । अब अगर राज को आप ग़लत कहेंगे तो आप को इस देश की राजनीतिक और संवैधानिक स्थितियों को भी ग़लत कहना पड़ेगा । इस देश मे कानून कब राजनेतावो पर नकेल कसने मे कामयाब हुवा है ? शायद तभी जब उसकी राजनीतिक गोटियाँ राजनीति की बिसाद पे सही नही बैठी । हाल ही मे सत्यम का घोटाला उजागर हुआ ,क्योंकि सत्यम का राजनीतिक मडर सुनिश्चित किया गया ।
राज ठाकरे राजनीति को अच्छी तरह समझते हैं । आगे बढ़ने के शोर्ट -कट को जानते है । आज अगर आप राज को ग़लत मानते हैं तो कृपया एक ऐसा नाम बता दीजिये जो आप की नजरो मे सही हो । आजादी के बाद का मोह भंग और उसके बाद की अवसरवादिता ही आज की राजनीति का एक मात्र सच है ।
मै राज ठाकरे को ग़लत नही मानता ,लेकिन उनका समर्थन भी नही करता .सही-ग़लत के बीच न फसकर मै बस इतना कहना चाहता हूँ की इस देश को आज सबसे अधिक खतरा अगर किसी से है तो निरंकुश मीडिया से है । इस लिये हमारा -आपका सीधा संवाद जरूरी है । आप क्या सोचते हैं ?
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International conference on Raj Kapoor at Tashkent
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अच्छा लगा... मै वार नही करता पर बचाव का हक तो है ही... राज ठाकरे को मैं बुरा नहीं कहता...लेकिन उनकी सोच को सही नहीं ठहराया जा सकता....ये भी मानता हूं कि राजनीति का स्तर गिर गया है... लेकिन इसका मतलब ये नहीं होना चाहिए कि देश की अखडंता को खतरे में डाल दें...
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