प्रेम डगर मे पल दो पल ,साथ अगर तुम मेरा देते
गीत नया मफिल मे कोई,हम भी आज सुना देते
अनजानी सी राह मे कोई ,हम दोनों फ़िर जो टकराते
नजरे झुका के अपनी तुम ,फ़िर हौले से तुम जो मुस्काते
गीत नया ----------------
बीच जवानी बचपन मे , हम दोनों जो फ़िर जो जा पते
गुड्डे -गुडियों के जैसे , हम तो ब्याह रचा लेते
गीत नया ---------------------
जितना पागल हूँ मे तेरा ,उतना तुम यदि हो जाते
एक नही फ़िर सात जनम के, साथी हम हो जाते
गीत नया -------------------------
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
कथाकार अमरकांत : संवेदना और शिल्प कथाकार अमरकांत पर शोध प्रबंध अध्याय - 1 क) अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त ...
Dr. sahab baut hi sundar rachna hai. mujhe sabse achhi panktiyan ye lagi
ReplyDeleteबीच जवानी बचपन मे , हम दोनों जो फ़िर जो जा पते
गुड्डे -गुडियों के जैसे , हम तो ब्याह रचा लेते
bahut bahut badhai.