तुझे भुलाने की कोशिश में सब याद रह गया
तु मुझमें मुझसे ज्यादा जाने के बाद रह गया।
उसके बिना इश्क का रोज़ा छूटे तो कैसे छूटे
जाने किस छत मेरी हसरतों का चाँद रह गया।
मोहब्बत करें और बड़े इत्मीनान से रहा करें
अब इस जहां में कौन ऐसा दिलशाद रह गया।
चुप्पियों के टूटते ही कायर कोई भी बचा नहीं
फिर सामने तो आग में तपा फौलाद रह गया।
बूढ़े मां बाप की आखों से टपकता लहू देख
वो खुश था बहुत जो कि बे औलाद रह गया।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
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