तुम क्या हो कि दर्द से एक रिश्ता पुराना
मैं क्या कि भूला हुआ कोई किस्सा पुराना ।
नए जमाने की चाल ढाल बेहद नई ठहरी
पर मुझे अजीज़ है जाने क्यों रास्ता पुराना ।
कई बार सोचा कि फिर से मुलाकात करें
पर याद आ गया तुम्हारा वो गुस्सा पुराना ।
सब के लिए नया नया कुछ तलाशता रहा
अपने लिए तो ठीक रहा कुछ सस्ता पुराना ।
उम्र के साथ चेहरे की रंगत भी जाती रही
जाने कहां खो गया वो चेहरा हंसता पुराना ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
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