Sunday, 29 August 2010

आशायें कितनी रखी थी ख़ामोशी के लफ्जों से

झिझक रहे कदमों से
अनकहे शब्दों  से
आशायें कितनी रखी थी
 ख़ामोशी के लफ्जों से


सपनों की राहें बनी  थी
अभिलाषाओं की आहें हसीं  थी
साकार वो ना कर पाई
दिल की चाहें सजीं थी


                                      
                                 
बहक उठे आखों के आंसूं
द्रवित हुआ ह्रदय बेकाबू
झलक दिखी जब हाँ की बातों में
ख्वाब सजे जागी रातों में 

वो लम्हा अनमोल था कितना

वैसे जीवन का मोल है कितना
वक़्त गया वो बातें बीतीं
राहें हैं तनहाई ने जीतीं






झिझक रहे कदमों से
 अनकहे शब्दों से

आशायें कितनी रखी थी
 ख़ामोशी के लफ्जों से








Friday, 27 August 2010

बंद आखों से तुझे देख लेता हूँ

बंद आखों से तुझे देख लेता हूँ
सोचों में तुझ संग बड़ा दिलफेंक होता हूँ
सपने सजाते है तेरी मुलाकातों से
ख्वाब रंगीन होते हैं बहके इरादों से


नीद जब खुलती खुद की बाँहों में होता हूँ
रात जब सोता तुझे निगाहों में रखता हूँ
तेरी चाहत है मेरी धड़कन तू है मेरे कण कण में
मेरा हर वक़्त गुजरता तेरी यादों की चिलमन में
तेरी मोहब्बत को दिया खुदायी का दर्जा
क्या हुआ मिले हुए हुआ एक अरसा 
आवाज तेरी भर देती उमंग हर अंग में 
बड़ा सुखकर था वो पल जों बिता तेरे संग में 
मुक़द्दस हो जाता है मुकद्दर जब तू पास होती है 
वक़्त ठहर जाता है जब तू साथ होती है  

बंद आखों से तुझे देख लेता हूँ

सोचों में तुझ संग बड़ा दिलफेंक होता हूँ
सपने सजाते है तेरी मुलाकातों से
ख्वाब रंगीन होते हैं बहके इरादों से


Thursday, 26 August 2010

देश का भाग्य हमारे कर्म पे है

मौलाना मुलायम कठोर है चाहिए आरक्षण
माया ने फैलाई है माया मूर्तियों की विलक्षण
नितीश  नरेन्द्र से दुरी हैं ढूंढ़ रहे
लालू है लाल ममता को कोस रहे
करूणानिधि है परिवारिक निधि निपटाने में फंसे
चिदंबरम नक्सल समस्या में हैं धंसे
बुद्धदेव की बुद्धी टाटा कर गयी
बादल है बदल रहे कैसे ना समझ रहे
हूडा है खाप में अटक रहे 
आडवानी की खोयी हुई है वाणी 
मनमोहन है अमेरिका के गुणगानी 
प्रणव प्रवीण है मंहगाई के
जयराम ही काम कर रहे अच्छाई के
राज का राज है गुंडई पे
 उद्धव भटक रहा संजीदगी से 
चौहान ना तलवार ना जुबान के धनी है
नवीन वेदान्त की बुरायिओं के गुनी है
राजदीप घोष की अवधारणा में दबे हैं
बरखा मौसम बदलता रहता है
शरद अनाज को सडाता बैठा है

देश की परवा कहाँ है किसे
ये नेता और पत्रकार हमने है चुने
देश का दुर्भाग्य चरम पे है
देश का भाग्य हमारे  कर्म पे है

Wednesday, 25 August 2010

गम को गम दिया तुने ख्वाबों को भी ख्वाब
सहमति-तरसती  जिंदगी क्या कम थी जों  सोचों को दिया दुर्भाव

सपनों में हंस लेते थे पहले सोचों में जी लेते थे
प्यार ऐसा परवान चढ़ाया तुने विछीप्त हुआ हर भाव

जख्म दिए तूने सीने में अहसासों को भी घाव 
सांसों  को तरसाया तूने हर लम्हा किया दुस्वार

गम को गम दिया तुने ख्वाबों को भी ख्वाब
जख्म दिए तूने सीने में अहसासों को भी घाव




Monday, 23 August 2010

जख्म भरने है लगा कोई नया तू घाव दे दे

दर्द सहन होने लगा कोई नया अभाव  दे दे
जख्म भरने है लगा कोई नया तू घाव दे दे

सूखे आखों के आंसूं
दिल चिचुक गया प्यास से
सांसे ना उखड़ी अब तलक
तू नयी कोई फाँस दे दे

धड़कन है मध्यम आस भी नम
बोझिल है आहें आभास भी कम  
संभल रहे लड़खड़ाते कदम है
छंट रहे कितने भरम है
अब भावों को नया भूचाल दे दे
तकलीफों को नयी चाल दे दे
 जिंदगानी  को बिखराव  दे दे
राहों को कोई  भटकाव दे दे


दर्द सहन होने लगा कोई नया अभाव दे दे

जख्म भरने है लगा कोई नया तू घाव दे दे

Sunday, 22 August 2010

हिंदी कार्यशाला संपन्न

हिंदी कार्यशाला संपन्न

बुधवार ,दिनांक १८ अगस्त २०१० को के.एम्.अग्रवाल महाविद्यालय ,कल्याण के हिंदी विभाग और हिंदी अध्ययन मंडल ,मुंबई विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ .कार्यशाला बी.ए. प्रथम वर्ष (वैकल्पिक )पेपर -१ के नवीन पाठ्यक्रम पर था .
                  कार्यशाला का उदघाटन सत्र सुबह १०.३० बजे शुरू हुआ. इस सत्र क़ी अध्यक्षता बिडला कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ.आर.पी.त्रिवेदी जी ने की. सम्मानित अतिथि के रूप में महाविद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य श्री रमाकांत उपाध्याय जी और  श्री ओम प्रकाश पाण्डेय जी उपस्थित थे .हिंदी अध्ययन मंडल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एम्.पी.सिंह और वर्तमान अध्यक्ष डॉ.सतीश पाण्डेय जी भी इस अवसर पर उपस्थित थे. महाविद्यालय की सेवा निवृत हिंदी प्राध्यापिका श्रीमती वीणा त्रिवेदी भी इस अवसर पर उपस्थित थी .  महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अनीता मन्ना भी उपस्थित रही .
                         कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और माँ वागेश्वरी की वंदना से हुई. स्वागत भाषण प्राचार्य डॉ.अनिता मन्ना ने दिया. इसके बाद सभी अतिथियों का शाल,श्रीफल,पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह दे कर सम्मान किया गया .अतिथियों ने कार्यशाल के आयोजन की तारीफ़ करते हुवे इसकी सफलता की कामना की . प्रबंधन समिति के श्री विजय पंडित जी और श्री ओम प्रकाश पाण्डेय जी ने अपनी कविताओं का संग्रह भी सभी प्रतिभागियों को उपहार स्वरूप प्रदान किया .इस सत्र का संचालन डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने किया . 
              उदघाटन सत्र के बाद चर्चा सत्र की शुरुआत हुई.इसकी अध्यक्षता डॉ.एम्.पी.सिंह ने की. प्रमुख वक्ता के रूप में के.सी. कॉलेज के हिंदी विभाग प्रमुख डॉ.शीतला प्रसाद दुबे ,वझे कॉलेज के हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. अशोक मिश्रा और मानगाँव महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संतोष मोटवानी जी उपस्थित थे.विशेष उपस्थिति डॉ. अनिल सिंह की थी ,जो विवेच्य पाठ्यक्रम के कन्वेनर थे. इस सत्र का सफल संचालन डॉ. मिथलेश शर्मा ने किया जो आर.जे.कॉलेज ,घाटकोपर की हिंदी विभाग प्रमुख हैं.चर्चा में सहभागी प्राध्यापकों में निम्नलिखित लोग थे 
        १-डॉ. शशि मिश्रा  -एम्.डी. कॉलेज
        २-डॉ. सुमनिका सेठी -सोफिया कॉलेज 
        ३-डॉ.निर्मला त्रिपाठी  -सोफिया कॉलेज 
        ४-डॉ. संज्योती सानप -एल्फीसतन कॉलेज
        ५-डॉ. श्याम सुंदर पाण्डेय  -बिडला कॉलेज 
        ६-डॉ.डी.के .बुआल-कीर्ति कॉलेज 
        ७-डॉ.मनप्रीत कौर -गुरुनानक कॉलेज 
        ८-डॉ.सादिका नवाब -के.एम्.सी.कॉलेज 
       ९-डॉ. ऋषिकेश मिश्रा -साकेत कॉलेज 
         १०-डॉ.संजीव दुबे -एस.आई.ई.एस. कॉलेज 
       ११-डॉ.अनिल ढवले -पेंढारकर कॉलेज 
                              चर्चा सत्र के बाद सामान सत्र में महाविद्यालय के मानद सचिव श्री विजय पंडित जी ने सभी के प्रति आभार मानते हुवे ,हिंदी विभाग की तारीफ़ की .आभार ज्ञापन का औपचारिक कार्य महाविद्यालय के उप प्राचार्य प्रो.आर.बी.सिंह जी ने किया .
                                            इस कार्यशाला में मुंबई के ५४ महाविद्यालयों के प्रतिभागी सम्मिलित हुवे.चर्चा सत्र के बाद सभी को प्रमाणपत्र और महाविद्यालय से सम्बंधित सी.डी. भेट की गई. सभी लोगों ने दोपहर का भोजन किया और इस तरह से यह कार्यशाला बड़े ही अच्छे वातावरण में संपन्न हुआ

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