पूजा भली हर हाल में चाहे काँटा हो या हो शूल ,
इश्वर है चहुँ ओर क्या हो भेद चन्दन और बबूल ।
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यज्ञ ह्रदय में पूजा मन में ,
मुझे फूल दिखे है कण कण में ;
चन्दन सा खुद को घिसना सिखा है ,
हर पल तभी महकना सीखा है ,
माला का मोह करूँ मै कैसे ,
मैंने ह्रदय से जपना सीखा है /
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पूजा भली हर हाल में चाहे काँटा हो या हो शूल ,
इश्वर है चहुँ ओर क्या हो भेद चन्दन और बबूल ।
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