Thursday, 31 December 2009

नूतन क्या है जो मै लायुं /

नूतन क्या है जो मै लायुं ,

क्या नूतन मै भाव सजायुं ;

नित्य सुबह को नयी है किरणे ,

उनमे क्या मै और मिलायुं ,

नूतन क्या है जो मै लायुं ,

मेरी निजता तुममे है खोयी ,

तेरे सपनों से प्रभुता है जोई ;

नित नए पलों का उदगम हरदम ,

कितने उसमे सपने मै बोयुं ,

नूतन क्या है जो मै लायुं ,

तुझको तकते आखें है सोयी ;

नया है हर पल ,हर छन नया है ,

नयी है शामें सुबह नयी है ,

नया महिना साल नया है ,

क्या नया नया मै जोडूँ यार पुराने ,

क्या मै बदलूं प्यार पुराने ;

नूतन क्या है जो मै लायुं ,

क्या नूतन मै भाव सजायुं ;

happy new year

नव वर्ष की पूर्व संध्या पर

नव वर्ष की पूर्व संध्या पर ********************

नए साल का  आगमन होने ही  वाला है .इन्टरनेट  पे हर जगह नए साल को मनाने की तैयारियों को ले कर चर्चा चल रही है .कुल मिलाकर शराब,लडकियां और  नाच-गाने  का ही जोर  चारों तरफ   है . ऐसे में एक सवाल मेरे मन में उठता है कि क्या भारत जैसे देश में इस तरह  से नव वर्ष  का स्वागत योग्य है ?
  भारत जन्हा कि ७०% आबादी  गाँवों की है , जन्हा देश का बड़ा हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन जी रहा है .जहा एक बड़ी आबादी  बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही हो, वंहा नव  वर्ष का  स्वागत कैसे होना  चाहिए ?
  आप यह  मत सोचिये की मैं आप को कोई  सन्देश  दे रहा हूँ  और  आप की  शाम  खराब कर रहा हूँ . मैं तो बस इतना  चाहता  हूँ की  आप इस बात पे  पूरी ईमानदारी के  साथ सोंचे .
 अंत में  बस इतना ही  की
नव वर्ष की  शुभ कामनाए
 २०१० आप के लिए मंगलमय हो . 

Wednesday, 30 December 2009

नया साल जब आता है ,--------------------------------------

नया साल  जब  आता  है ,
याद तुम्हारी लाता है . 
तेरे  मेरे सपनो का ,
खंडहर मुझे दिखाता है . 
नया साल ---------------------------------------
 ना जाने  तेरी कितनी ,
बातें याद दिलाता है . 
वक्त की शाखों से टूटे,
 पत्तो सा बिखराता है .
नया  साल -------------------------------------------
 अपने  सपनो  की टूटन को,
हर आहट में दिखलाता है . 
अपनी हर छुअन को,
 यादो में  सहलाता है . 
नया साल -------------------------------

आ जाओगी शायद फिर तुम,
एहसास यही दे जाता है . 
मीठे-मीठे सपनो को ,
मेरे पास  सुलाता  है .
 नया साल ---------------------------------- 
 तेरे बाद उदास पड़े,
 बिस्तर को  सहलाता है .
 उदास इसकी सलवटों में ,
 मेरी हंसी उड़ाता है . 
नया साल जब -------------------------------- 
 happy new year -2010

Indian Cricketers launch their Websites

This is one good news for Indian Cricket fans and specially for Fans of Dhoni, Bhajji, Sehwag and Ishant as they have launched their own websites so that they can get closer to their fans on Internet and share more about them.  Each of the websites have :
  • Biography
  • A Fan Zone or Fan club
  • A Picture Gallery
  • A webcast where each of these players talk about something to share with their fans.
You would find something more and different in each of their websites which is personalized according to theie taste. Like you can seee Bhajii showing off his cap collection and Dhoni his love for football.  Here the details for each of them :
Dhoni worldDhoni world
Bhajji worldBhajji world
Sehwag worldSehwag world
Ishant worldIshant world

Tuesday, 29 December 2009

The Traffic People : Getting through Indian roads can be little easy



The Traffic People : Getting through Indian roads can be little easy



We all know how tough is Indian roads specially when its peak time. Its not about just road conditions but when everybody is on road with their wheels on nothing helps excpet your experince. The Traffic People is an initiative by Shailesh Sinha of Delhi to help you travel through Indian roads little easier with tools they have launched and few more they will be doing in coming months.



Current Traffic Status

Plan your Route through city traffic.

Traffic Radio helping you to find which road will give you blues croissing through. There is a radio cast availble almost every 30 minutes to help you analyse the condition of the roads.

Traffic Forecast : This will be intresting depending on what kind of analysis is do



As of now only Delhi is on their radar and we hope to see how well they go ahead with this challeneging tasks. You can send an SMS to 54242 with text as TRAFFICPEOPLE and you would get the latest traffic update on your phone. Good luck to them. Find more details on Traffic People

पथिक है बैठा राह तके है /

पथिक है बैठा राह तके है ,

हमसाया मिल जाये ,

जो सपनों को सींचे है ,

रुके पगों को क्या हासिल हो ,

जो हमराही मिल जाये ,

चलते रहना नियति हो जिसकी ,

क्यूँ राहों पे रुके है ;

पथिक है बैठा राह तके है ,

बड़ते कदमों संग दुनिया भागे ,

चलता प्रियतम दुनिया मांगे ,

क्यूँ वो इसको भूले है ;

पथिक है बैठा राह तके है ,

मंजिल पहले थमना कैसा ,

धारा संग भी बहना कैसा ,

मंजिल एक पड़ाव है ,

कुछ पल का ठहराव है ,

नयी चुनौती नयी मंजिले ,

नयी सड़क का बुलावा है ,

जो संग चला वो हम साया ,

जो साथ रहा वो ही है यारा ,

पथिक है बैठा राह तके है /

Monday, 28 December 2009

merry christmas



 

 

 
 


 

&   
Wishing you all a Blessed Merry Christmas and
 Hope the New Year will bring peace, health and success

     
 
                                                              
 
 
 
                    

           

                  


 

हिंदी का राष्ट्रिय सेमीनार


 हिंदी का  राष्ट्रिय सेमीनार-पुणे

 १५-१६ जनवरी  २०१०  को पुणे  विश्विद्यालय  से सम्बद्ध  चांदमल ताराचंद  बोरा महाविद्यालय , रांजनगाँव ,शिरूर  में  २  दिवसीय
 राष्ट्रीय संगोष्टी  आयोजित  की  गई  है . यदि  आप  इस  संगोष्टी में  सहभागी  होना  चाहते  हैं  तो  संपर्क करे -
 डॉ.इश्वर पवार 
 ०२१-३८२८८४४४ 
 ०९६२३९६१४४३
 ०९४२२३१६६१७ 
 संगोष्ठी  में   आप  का  स्वागत  है  
 


अभिलाषा १०५

जीवन के पैरों पे गिर के,
अभिलाषा ने किया सवाल .
अपने पूरे होने की ,
उसकी थी चाहत  प्रिये .
 
उसकी बाते सुनकर के,
 जीवन बस इतना बोला -
जो पूरी ही हो जाए,
अभिलाषा वो कंहा प्रिये . 

                       ---------अभिलाषा १०५  

Saturday, 26 December 2009

अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /

डरा हुआ ये वक़्त है ,
आज समाज विभक्त है /
आडम्बर का चलन बड़ा है ,
गले लगाने का आचरण बड़ा है /
शंकाओं का धर्म बड़ा है ,
बातों में मिठास लिए ,
अविश्वास का करम बड़ा है /
मिलते हैं ऐसे जैसे अपना हो ,
भूले तुरंत जैसे सपना हो ,
खा लेंगे इक थाली में ,
जाती हमेशा याद आती है ,
नाम निकालेंगे देश का ,
पर झगडा होगा हमेशा प्रदेश का ,
सबसे छोटा देश यहाँ हैं ,
अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /

Thursday, 24 December 2009

अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /

अनजान राहें न थीं ,
अजनबी बाहें न थीं ;
सिमट न सकी वो मेरे सिने में ,
मोहब्बत की उसमे चाहें न थीं /

बदन की प्यास न थी ,
उपेच्छा की आस न थी ,
मोहब्बत से कब इनकार था मुझको ,
उनसे दुरी काश न थीं /

अभी रोष बाकी है ,
अभी तो होश में हूँ मगर ,
प्यार का जोश बाकी है ;
चाहता हूँ बाँहों में भर सिने से लगा लूँ ,
अभी मेरे इश्क का आवेश बाकी है ,
ये यार मेरे अभी इश्क का उदघोष बाकी है ,
आखों में आंसू दिल में दर्द ,
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /

Wednesday, 23 December 2009

सजे हो महफ़िल में आखों में चमक नहीं /

सजे हो महफ़िल में आखों में चमक नहीं ,
हँसता चेहरा खिलती बातें पर वो मुस्कान नहीं ;
घूम रही है तू इठला के पर गुमान नहीं ,
क्या उलझन है तेरे दिल की ,
क्यूँ तेरा मन शांत नहीं /
तेरी खनकती आवाजों को सब तेरी खुशियाँ मान रहे ,
बदन थिरकता तेरा धुनों पे सब सुखी तुझे जान रहे ;
तेरी आभा जो खोयी है वो नहीं जान रहे ,
जो कहना चाहो कह दो मुझसे क्या बिखरा क्या खोया है ,
क्यूँ खुशियाँ दिल में नहीं तेरे जो तुने चेहरे पे बिखरा है ;
क्या यादों का साथ अभी है ,
क्या ह्रदय में घाव अभी है ,
क्या सब हो के भी कुछ खलता है ,
क्या प्यार तेरा अब भी जलता है ;
क्यूँ त्योहारों पे उमंगें उमंगें छाती है ,
क्यूँ फिर भी आखें नहीं हंस पाती हैं /
अब राहों पे रुकना कैसा ,
अब चाहों से हटना कैसा ,
ह्रदय है हावी तो दिल की सुनो ,
अब क्यूँ घुटना क्यूँ मुड़ के देखना ;
अब है रिश्तों को अपने ढंग से जीना /
कुछ तकलीफे कुछ खुशियाँ होंगी ,
पर वो तेरी अपनी होंगी /
-- - -- - - पर वो तेरी अपनी होंगी /

==============================================================

लिप्त हैं वो अभिसार में ,

खोये हैं वो इक दूजे के प्यार में ;

ओठ पी रहे ओठों की मदिरा ,

चंचल मान और काम का कोहरा ;

मचल रहा बदन बदन के प्यास से ,

चहक रहा तन तन के साथ से,

चन्दन सा घर्षण मेंहंदी सी खुसबू ,

उत्तेजित काया मन बेकाबू ,

कम्पित उच्च उरोजों का वो मर्दन ,

चूमता बदन और हर्ष का क्रन्दन ,

उफनती सांसों का महकता गुंजन ,

दुनिया से अनजान पलों में ,

स्वर्गिक वो तनों का मंथन ,

कितना भींच सको अपने में ,

कितना दैविक वो छनों का बंधन ,

भावों की वो चरमानुभुती है ,

प्रेमोत्सव की परिणिति है ;

प्यार सिर्फ अभिसार की राह नहीं है यारों ,

पर प्यार की ही ये भी इक प्रीती है ,

प्यार का बंधन तन मन का आलिंगन ,

कितनी दिव्य ये भी इक रीती है /

================================

क्या वक़्त था वो भी ,क्या समय था वो भी ,

वो मुझपे मरती थी मै कितना डरता था ;

नजरें जब भी उनसे मिलती थी ,

पलकें पहले मेरी झुकतीं थी ,

पास जो आके वो इतराती ,

मेरी हालत पतली हो जाती ,

बात वो करती जब अदा से ,

कम्पित तन मन थर -थर करता ,

बदन कभी जब बदन से लगता ,

दिल मेरा धक् -धक् सा करता ,

मुस्काती थी तब वो खुल के ,

मै पत्थर का बुत बन जाता ,

हफ्ते बीते ,बीते मौसम ,

बदला साल महीने बीते ,

पता नहीं कब मैंने हाथ वो पकड़ा ,

कब उसने बंधन में जकड़ा ,

कब डूबा उसकी बातों में ,

कब खोया उसकी आखों में ,

वक़्त उड़ा फिर ,नहीं पता चला फिर ,

कब उसकी मगनी कब शादी बीती ,

असहाय हुआ मूक बना कब ,

क्यूँ उसने नहीं मुझको बोला ,

आखों में खालीपन लिए मै डोला ,

अब सिने को सिने की बारी थी ,

अब नए जीवन से लड़ने की तैयारी थी ,

नयी राह पे फिर मैं निकला ,

फिर जीवन को जीने की ठानी थी /

Sunday, 20 December 2009

आहत मन को प्यार से जीतो /

आहत मन को प्यार से जीतो ,

जजबातों को भाव से जीतो ;

कठिन समय को सब्र से जीतो ,

जीवन को तुम कर्म से जीतो /

दुविधावों को धर्म से परखो ,

रिश्तों को तुम मर्म से परखो ;

अभावों से जूझना सीखो ;

खुद पे तुम हँसना सीखो /

राहें तेरी राह तकेंगी ,

मंजिल तेरा मान करेगी ,

कठिनाई में अपनो को जीतो ,

अच्छाई में सबको पूंछों /

करुणा मत खोना तुम कभी ,

अभिमान सजोना ना तुम कभी ;

नम्रता गुण है अच्छायी का ;

झुकना आभूषण है ऊँचाई का /

अपने मन पे राज करो तुम ,

माया पे अधिकार करो तुम ;

सत से ना तुम पीछे हटना ;

ना अपना ना दूजा तू करना /

आ इक दूजे के सपने जिए हम /

आहत हूँ क्यूँ व्यवहार पे उनके ,
चाहा था इसी चाल पे उनके ,
मचल उठती थी धड़कने उनकी अदाओं पे ,
क्यूँ चाहता हूँ वो बदले मेरी बातों पे ;

आवारापन मेरी सोचों का जो तुझे भाया था ,
मेरी जिस बेफक्री ने तुझे रिझाया था ,
मेरी ख़ामोशी जो तुझे लुभाती थी ,
क्यूँ मेरी वो आदतें तुझे खिजाती है ;

आ खोजे इक दूजे को हम नयी पनाहों में ,
समझे हालातों संग ढलना नयी फिजाओं में ,
बदले तौर तरीके पर खुद को ना खोये हम ,
आ इक दूजे के सपने जिए हम /

Get ready to borne extra tax if you own more than one car



Delhi Govt has put forward a plan to Delhi High Court to levy extra tax on vehicle owners who are having more than one car in their name. This decision has been taken after observing the increasing numbers of vehicle moving in the capital, resulting huge traffic disruption.
Too many cars ?Too many cars ?
As confirmed by officials, they are planning to impose extra taxes during the time of registration itself in form of Road Tax, Parking charge , Area pricing etc.
But it’s still to be clear whether by adopting this kind of plan , Govt will be able to control the situation or not, as the loop holes are yet to flash out. There is high probability that hereafter people will start doing the new car registration in different other family member’s name or even in the name of close relatives.
Though there are ifs & Buts in the proposed plan, but the initiative was really needed for controlling the traffic situation of the City. If the plan become successful , I think all the other Metro Cities are going to follow the capital to solve the problem of their Traffic system .
Courtesy : Economic Times.

अभिलाषा १०१ ------------------------------------------------------


 
माना की हो दूर तुम लेकिन, 
   दिल से दूर कंहा हो मेरे ?

 आंखे बंद कर देख लिया,
 चाहा जब भी  तुम्हे प्रिये . 





  
 


                



    

                                                                                         --------अभिलाषा  १०१  

Saturday, 19 December 2009

कभी तो चाहत को आवाज दे देते /

कभी तो चाहत को आवाज दे देते ,
कभी तो सपनों का साथ दे देते ;
प्यार पे बस नहीं सच है मगर ;
कभी तो इरादों को आधार दे देते ;
लबों की लालिमा बडाना है ,
बदन को होठों से सजाना है ;
भींच ले वो मुझे अपने सिने में ,
उनके अहसासों को ऐसे मनाना है /

अजीब इश्क था

अधखुली आखों से अनकहे भावों से ,
चाहा था उसने असमर्थ इरादों से ;

दूर हुआ नहीं पास गया नहीं ,
इज़हार हुआ नहीं इकरार किया नहीं ;

अजीब इश्क था ,
दिल से गया नहीं धडकनों में बसा नहीं /

Friday, 18 December 2009

MYTH ABOUT FAT




People are getting more conscious with regard to their gain in weight. Going to gyms, aerobics and doing crash dieting are most common found in today’s generation. It’s a good sing being health conscious and doing the beat to keep yourself fit with the busy schedule. But if you are trying to totally discard from having fat then there is a question. I know the word FAT might have raised your eyebrows. But have you ever thought that are all fats harmful to our body? Do we really need to omit fat from our daily diets?
 DIFFERENT TYPES OF FAT

WHY FAT IS INDISPENSABLE?

  • Fat supply you energy in the form of adipose tissue.
  • Fat plays an important role in brain and eye health.
  • Fat gives elasticity and prevents ageing of skin.
  • Fat acts as insulation against temperature changes by subcutaneous fat stores.
Edible oils are made up of different types of fatty acids. Oils which contain low amount of SFA and are rich in MUFA, omega and antioxidants are considered to be healthy. Mustard oil, groundnut oil, canola oil and rice bran oil are few best oil picks. Olive oil is also good but not for cooking. You can use it for dressing salads.

HOW MUCH FAT SHOULD WE TAKE?

  • Fat intake should not exceed 25-30 per cent of our calories.
  • 8 – 10 per cent of fat should come from saturated fat. Saturated fats are found in animal products like meat and full fat dairy.
  • The American Heart Association recommends a trans-fat intake of less than 1 per cent
  • For staying fit we should not consume more than 6 tsp of oils in a day.
  • In fact we should consume less than 300mg of cholesterol a day.
So keep in mind that eating low fat food doesn’t imply that we should give up fat. Rather we should educate each one of all which fats should ideally be avoided and which ones are more heart-healthy

Thursday, 17 December 2009

उस दिन /

मैंने बाल कटाया उस दिन ,
जुल्फों को रंगवाया उस दिन ;
चेहरे को massage कराया उस दिन ,
कितनी देर नहाया उस दिन /
शम्पू से बालों को धोया ,
बॉडी वाश से बदन भिगोया ;
mainicure कराया उस दिन ;
padicure कराया उस दिन ;
चेहरे पे moisture लगाया ,
तन को deo से महकाया ;
मोज़े में भी scent लगाया ,
mouth freshner से मुंह गरगलाया ;
मन कितना हर्षित था उस दिन ,
तन कितना पुलकित था उस दिन ;
उनसे मिलने की जल्दी थी मुझको ,
आखों में भरना था उनको ;
उनकी बातों में रमना था उस दिन,
उनको बाँहों में भरना था उस दिन ;
भाव मेरे खिले हुए थे ;
सपने आखों में घुले हुए थे ;
तैयार हुआ सज धज के उस दिन ;
तभी रिंग बजी ``आज नहीं किसी और दिन ``
मुझको बोला ऐसा वो उस दिन ;
एक निराशा दिल में छाई ,
आखों में नमी थी आई ,
ना घर में ना बाहर रह पाता ,
ना हंस ना ही रो पाता ;
क्या बीती थी मुझपे उस दिन ;
क्या सोचा क्या हुआ था उस दिन /

Wednesday, 16 December 2009

Shoe Laundry : Get a facelift of old sneakers



Sounds weird but it’s true that many people are paying for getting their sneakers cleaned or even repaired. Many of us don’t like wearing dirty sneakers and actually don’t know how to get it properly cleaned. Either we manage with that dirty ones or just throw away.
seeing this Mumbai-based Sandeep Gajaka gave birth to the idea of Shoe Laundry in 2004. Sandeep has given the people of getting their sneakers cleaned and giving them a fresh look.
Initially started his business with Rs 7000 in his own room, Sandeep handled the entire business of his own. From picking to deliver it back was managed by him all alone. It took time for people to digest the concept of shoe laundry but soon Sandeep Gajaka’s unique business flourished. Now Shoe laundry is a mature and stable process which follows a 10 step cleaning and repairing process
Shoe laundaryShoe laundry
Sandeep’s laundry now provides service to leading showrooms, 5 star hotels in Mumbai and many hospitals. Charging Rs 150 pair – does it sounds much? Actually no. This charge is inclusive of pick up from your door step, washing, drying, even repairing /carrying out touch-ups giving a new life to your sneakers. They also replace the worn out laces if any. What else can you demand at this charge? The present revenue is around Rs 80 Lakhs with 15 employees.
I really liked this weird idea of Mr Sandeep Gajaka. The concept is really creative and solves the problem of in fact every house. Heard and read about shoe laundry in India for first time in India and i think that not many people are aware that such a service exists in our country

A Small treat for u


A Small treat for u

दुनिया के कुछ ख़ास बस स्टॉप

दुनिया के  कुछ  ख़ास  बस स्टॉप

सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए /

सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए ,
सुन्दर सीधी साथी के सांसों का भान लिए ;
सम्यक ,संकुचित सतही सा ज्ञान लिए ,
मै निकला था जीवन की राहों में ,
अपने और घरवालों का अरमान लिए /

राहों में उलझा ,बातों में खीझा ,
भटका सालों फिर भी जीवन ना सुलझा ;
हार ना मानी जीत ना जानी ,
तकलीफें आयीं , मुश्किल झायी ,
हिम्मत ना हारी मै ना पलटा ,
चंचलता आयी ,माया ने माया फैलाई ;
मन भरमाया ,तन छितराया ,
भावों ने टोका ,राहों पे लौटा ;

सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए ,
सुन्दर सीधी साथी के सांसों का भान लिए ;
सम्यक ,संकुचित सतही सा ज्ञान लिए ,
मै निकला था जीवन की राहों में ,
अपने और घरवालों का अरमान लिए
/


अपनो के प्यार ने वर्षों को आसान किये ,
आशीर्वाद और आशीष ने मंजिल तक की रह दिए ;
माँ के भावों ने हरदम मुझे संजोये रक्खा ,
भाई बहनों कितने ही अपनो की दुआओं ने भटकाव को रोका ;
साथी तेरे प्यार ने कितने ही पल आसान किये ;
रुका नहीं हूँ अब भी मै तो पर चलता हूँ संज्ञान लिए, ,
बाँहों में सीखा ,राहों में सीखा और सीखा अभावों में
गिर के सीखा लड़ के सीखा और सीखा स्वभावों में ,
ममता से सीखा ,स्नेह से सीखा और सीखा बंधुत्व से ,
दुश्मन से सीखा ,चिलमन से सीखा और सीखा सदभाव से ;
यारी से सीखा तीमारदारी से सीखा और सीखा सरदारी से ;
भाग्य से सीखा अभाग्य से सीखा और सीखा खुद्दारी से ;
पास नहीं है मंजिल फिर भी, पर अब वो दूर नहीं है ;
साथ अभी भी है सब अपनो का ,जहाँ में इससे बढकर ख़ुशी नहीं है ;
राहों में चलने की हैं खुशियाँ मंजिल तो पल भर की है ;
नयी तलाश नयी मंजिले फिर बनती हैं खुशियाँ तो जीने में है /

सरल सहज साधारण सपनों का साथ लिए ,
सुन्दर सीधी साथी के सांसों का भान लिए ;
सम्यक ,संकुचित सतही सा ज्ञान लिए ,
मै निकला था जीवन की राहों में ,
अपने और घरवालों का अरमान लिए /

Monday, 14 December 2009

भूत तो इतिहास है ,आज कहाँ तेरा साथ है ;

न आस हो न प्यास हो न झुलाता विश्वास हो ;

न प्यास हो ,न विलास हो पर जीवन की साँस हो ;

वक्त ना धूमिल कर सके समय साथ जो चल सके ;

व्यक्त तो हुआ नही पर अव्यक्त जो न रह सके ;

दुरी जिसे न मोड़ सके तकलीफे जिसे न तोड़ सके ;

वो मेरा अहसास हो ,तुम वही मेरा प्यार हो /

भाग्य में है क्या ,क्या पता ;

राह में है क्या , क्या पता ;

भाव में है क्या , क्या पता ;

भूत तो इतिहास है ,आज कहाँ तेरा साथ है ;

भविष्य में है क्या ,क्या पता ?

दिल से मोहब्बत जाती नही ,

प्यार को दूरी भाती नहीं ;

बाँहों में भींच लेना अपने सपनों में तू मुझे ;

मुझे आज कल नीद आती नही /

जीवन की उलझनों में उलझाना क्या ;

रिश्ते के भ्रमो में भटकना क्या ;

ह्रदय की गहराइयों में झाक के देखो ;

प्यार के रिश्ते में झगड़ना क्या ?

Sunday, 13 December 2009

तो कोई बात न थी /

तेरे बुलावे का इंतजार करता रह गया ,

सपनों को ख्वाब करता रह गया ;

दिल आखों से ना बह जाए कहीं ,

मै जजबातों पे इख़्तियार करता रह गया /

उनमे अहसास ना होता तो कोई बात न थी ,

उन्हें प्यार ना होता तो कोई बात न थी ;

रवायतों जिंदगी की कवायतों ने उन्हें थाम लिया ,

तेरी तमन्नाओं की फरियाद होती तो कोई बात न थी /

आशाओं के तिनके ने मुझे थाम लिया ,

हताशा टूट भी जाती तो कोई बात न थी /

मैं ना का इंतजार करता रह गया ;

तू मेरी मौत पे भी ना आती तो कोई बात न थी /

Saturday, 12 December 2009

Send this to all your friends,



Send this to all your friends,

cid:11.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com


no matter how
often you talk ,
cid:12.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com

or
how close you are,
cid:13.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com


and send it to the person who sent it to you.


cid:14.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com


Let
old friends know you haven't forgotten them,
cid:15.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com


and tell new friends
you never will.
cid:16.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com

Remember,
everyone needs a friend,
cid:17.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com

someday you might feel like you have
NO FRIENDS at all,
cid:18.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com

just remember this text and take comfort
in knowing
cid:19.490592268@web56414.mail.re3.yahoo.com

somebody out there
cares about you....

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