कई गुलाबो के दामन से,
लिपट-लिपट कर सोया हूँ .
इसीलिए तो रिश्तेदारी ,
काँटों से भी हुई प्रिये .
अभिलाषा---१००
Saturday 5 December 2009
Monday 30 November 2009
Sunday 29 November 2009
मेरी इक बात पे इक बात वो बोला ,[२]
मेरी इक बात पे इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !
न जजबात हों काबू तो न कोई बात बोलो तुम ;
जो हो अनिश्चित तो न तकरार बोलो तुम ;
मेरी इक बात पे इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !
भावों की हो उलझन तो न इकरार बोलो तुम ;
गुस्सा भी गर आए तो मुस्कराके बोलो तुम ;
मेरी इक बात पे इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !
इक बात पे मेरी इक बात वो बोला ,
इक बात पे मेरी इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !
न हर इक बात बोलो तुम ,
न कोई राज खोलो तुम ;
मगर हो कोई इक खास ,
जिसे हर बात बोलो तुम ;
इक बात पे मेरी इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !
न हर इक बात बोलो तुम ,
न कोई राज खोलो तुम ;
मगर हो कोई इक खास ,
जिसे हर बात बोलो तुम ;
इक बात पे मेरी इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !
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