सलीका सिखाने लगा जमाना मुझको
जब हर एक लगता है बेगाना मुझको ।
उसके बाद तो , मौत ही आने देते
क्यों चाहते हैं लोग, जिलाना मुझको ।
वही एक है जिसे भूल नहीं सकता मैं
जिसने छोड़ा नहीं है, सताना मुझको ।
वो कब के बसा चुके है दुनिया अपनी,
कभी सागर पी गया था उसके ओठों से ,
अब तो मयस्सर नहीं, कोई पैमाना मुझको ।
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..