परछाइयों का साथ है यूँ ,
न अकेलापन न कोई साथ है यूँ ,
चंद शब्दों अहसासों की बात थी यूँ ,
न दूरियां ना इतिहासों की बात थी यूँ .
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यादें कुछ धूमिल है खुशियाँ रिमझिम है ,
गुजरे वक़्त के कारवां में कितनी हकीकते गुमसुम है ,
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शरारत तू इसे कह ले ,
इबादत तू इसे कह ले ,
चल ज़माने की गर रश्मों से ,
बेगैरत तू इसे कह ले ,
मोहब्बत है तू मेरी ,
चाहत तू इसे कह ले ,
रिश्तों की बंदिशों में हो उलझे ,
जरूरत तू इसे कह ले .
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