Thursday, 8 December 2011

न दूरियां ना इतिहासों की बात थी यूँ .

परछाइयों का  साथ  है  यूँ , 
न  अकेलापन  न  कोई  साथ  है  यूँ  ,
चंद  शब्दों  अहसासों  की  बात  थी  यूँ ,
न  दूरियां  ना इतिहासों की बात थी  यूँ .
===============================
 
यादें  कुछ  धूमिल  है  खुशियाँ  रिमझिम  है  ,
गुजरे  वक़्त  के  कारवां  में  कितनी  हकीकते  गुमसुम  है  ,
=========================================== 
शरारत  तू  इसे  कह  ले , 
इबादत  तू  इसे  कह  ले ,
चल  ज़माने  की  गर  रश्मों  से  ,
  बेगैरत तू  इसे  कह  ले  ,
मोहब्बत  है  तू  मेरी  , 
चाहत  तू  इसे  कह  ले  ,
रिश्तों  की  बंदिशों   में  हो  उलझे  ,
जरूरत तू इसे  कह  ले .
============================

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

International conference on Raj Kapoor at Tashkent

  लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र ( भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज्बेकिस्तान ) एवं ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़ ( ताशकं...