आवारगी मेरी फ़ितरद मेँ है ,
आवारगी मेरी आदत मेँ है ।
ज़िंदगी तो वही थी जो आवारगी में बीती ,
मजा कहाँ कोई इस शराफत मेँ है ।
हौसला, हिम्मत और ताकत चाहिए,
लुफ्त बहुत ही बगावत मेँ है ।
भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता (अध्याय 9, श्लोक 22) में "योग" शब्द के माध्यम से अध्यात्म की परिभाषा दी है। यह श्लोक इस प्रकार है— अनन्य...
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