आवारगी मेरी फ़ितरद मेँ है ,
आवारगी मेरी आदत मेँ है ।
ज़िंदगी तो वही थी जो आवारगी में बीती ,
मजा कहाँ कोई इस शराफत मेँ है ।
हौसला, हिम्मत और ताकत चाहिए,
लुफ्त बहुत ही बगावत मेँ है ।
अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष डॉ. मनीष कुमार मिश्रा प्रभारी – हिन्दी विभाग के एम अग्रवाल कॉलेज , कल्याण पश्चिम महार...
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