न गम की बरसात होती है ,न ख़ुशी भी साथ होती है ,
जिंदगी बीत रही कुछ ऐसी ,दिन भी रात होती है /
.
न मुलाकात की मैंने ,न कोई शुरुवात की तुने ,
रूह जलती रही मेरी सर शैया पे ,मेरी राख को न आग दी तुने /
अमरकांत : जन्म शताब्दी वर्ष डॉ. मनीष कुमार मिश्रा प्रभारी – हिन्दी विभाग के एम अग्रवाल कॉलेज , कल्याण पश्चिम महार...
bahut sundar sher.
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