Thursday, 13 May 2010

तू आज कौन है मेरा भले कभी तू मेरा महबूब था ?

मेरे आहत मन से बने ,मेरी तल्ख़ आवाज से बुने ,
मेरे सवालों पे बड़ी शालीनता से पूंछा तेरा सवाल खूब था ;
तू आज कौन है मेरा भले कभी तू मेरा महबूब था ?



न ही आज तू मेरे किसी काम न आज तेरा कोई रसूख था ,
आज मेरे खैरख्वाह हैं बहुत, क्या तेरा वक़्त तेरे करीब था ?
आवाक था , पर उसका ये सवाल भी मुझे अजीज था ;

मेरे आहत मन से बने ,मेरी तल्ख़ आवाज से बुने ,
मेरे सवालों पे तेरा बड़ी शालीनता से पूंछा सवाल खूब था ;
तू आज कौन है मेरा भले कभी तू मेरा महबूब था ?


मुस्कराते आंसुओं से उसको दी दुवाएं और रुखसत हुआ
राहों में उदासियों ने संबल और काटों ने सुकून दिया ,

मेरी दिल की धड़कन आज मै अपना ही अतीत था ;
मेरे जनाजे को रौंदा उसने जों मेरा सबसे करीब था /


मेरे आहत मन से बने ,मेरी तल्ख़ आवाज से बुने ,
मेरे सवालों पे बड़ी शालीनता से पूंछा तेरा सवाल खूब था ;
तू आज कौन है मेरा भले कभी तू मेरा महबूब था ?

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