Tuesday, 13 October 2009

महसूस कर हवा में मिलेंगी सदायें मेरी ;

महसूस कर हवा में मिलेंगी सदायें मेरी ;

आसमान से बरसती दुआएं मेरी ;

दूर रहने पे भी मेरे अहसास तेरी तन्हाई छू जायेंगें ;

बातों में तेरे मुंह से मेरे अलफाज निकल आयेंगें ;

सहेज लो चाहे जितना अपने मन अपनी नई जिंदगानी में ;

बिना मेरा जिक्र कहाँ रंग आएगा तेरी कहानी में ;

तू कहता है नही जरुरत अब मेरी मोहब्बत औ उसके इरादों की ;

नही परवा मेरे इश्क और मेरे हालातों की ;

तेरी अवहेलना ने आखों को इक हँसी सी नमी दी है ;

मेरे दिल को सबमे प्यार बांटने की जमीं दी है ;

सुक्रगुजर हूँ तेरा और तेरी इनायतों का ;

मेरी भावनाओं ,आकान्छाओं को अपनी दुश्मनी दी है ;

आईने में देखा जरा नजर भर के ख़ुद को ;

मेरी मोहब्बत के अहसासों ने तुझे क़यामत की खूबसूरती दी है /

झांक सकते हो तो झाँकों अपने ह्रदय के बंद हिस्सों में ;

मैंने कभी तुझे जिंदगी भर की खुशी दी है /

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..