Saturday, 24 October 2009

महाकाव्यात्मक गरिमा का उपन्यास -इन्ही हथियारों से :अमरकांत


महाकाव्यात्मक गरिमा का उपन्यास -इन्ही हथियारों से :अमरकांत


अमरकांत  नई -कहानी  आन्दोलन के  प्रमुख लेखको में से एक हैं . मुख्य रूप से समाज के निम्न मध्य वर्ग का चित्रण करने वाले अमरकांत को आजादी के बाद के दुःख ,निराशा,मोहभंग और कुंठा का लेखक माना जाता है .
 राजेन्द्र यादव उन्हे मानसिक टुच्चेपन का कुशल कलाकार मानते है . अपने निरीह पात्रो के मनोवैज्ञानिक चित्रण में उनका कोई शानी नहीं है .
 एक उपन्यास कार के रूप में अमरकांत को उतनी ख्याति नहीं मिली ,जितनी कि एक कहानीकार के रूप में. लेकिन इधर उनके कई उपन्यासों कि चर्चा हो रही है .  इन्ही हथियारों से  उपन्यास पे उन्हे २००७ का साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला . अमरकांत का यह उपन्यास कई संदर्भो में अनोखा है ,जैसे कि
  1. यह अमरकांत का पहला उपन्यास है जन्हा वे आजादी के बाद कि निराशा और कुंठा को नहीं, बल्कि आजादी के पहले कि स्थिति का चित्रण करते हैं .
  2.  इस उपन्यास में निराशा नहीं बल्कि आने वाले कल के सपनो का चित्रण किया गया है .
  3.  इस उपन्यास के माध्यम से अमरकांत ने गांधी के पुनर्मूल्यांकन कि बात कि है .
  4.  इस उपन्यास में अमरकांत  गांधीवाद के समर्थक नजर आते हैं . 
  5.  इस उपन्यास के माध्यम से उन्होंने बलिया अंचल कि संस्कृति का विस्तार से वर्णन किया है . 
  6.  अमरकांत आंचलिक उपन्यासकार भले ही न हो,लेकिन उनके इस उपन्यास में आंचलिकता बोध बड़ी गहराई से दीखता है . 
  7.  बलिया कि १९४२ कि क्रांति का बड़ा ही मार्मिक चित्रण इस उपन्यास में है .  
  8. ऐतिहाशिक बोध का उपन्यास होते हुए भी,यह ऐतिहाशिक उपन्यास की श्रेणी में नहीं आता .  
  9. इस उपन्यास में इतिहास और कल्पना का सुंदर समन्वय किया गया है . 
  10.  इस उपन्यास में कोई मुख्य पात्र नहीं है ,उपन्यास के केन्द्र में बलिया ही है . 
  11.  कई छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से अमरकांत ने तात्कालीन समाज का चित्र उकेरने का काम इस उपन्यास के माध्यम से किया है . 
  12.  इस उपन्यास के माध्यम से अमरकांत ने वेश्याओं के जीवन को भी चित्रित करने का प्रयास किया है . 
  13.  इस उपन्यास की अधिकाँश प्रेम कहानियां असफल दिखाई गई हैं, जिसका कारण मध्यमवर्गीय मानसिकता है .
  14.  निम्न वर्ग के पात्र अपने निर्णयों में मध्यवर्ग की तुलना में अधिक परिपक्क दिखाए गए हैं . 
  15.  अमरकांत के इस उपन्यास में तत्सम शब्दों की संख्या अधिक है . 
  16.  अमरकांत का यह उपन्यास अपने समय का जीवंत दस्तावेज प्रस्तुत करता है, निश्चित ही यह महाकाव्यात्मक गरिमा का उपन्यास है . 

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