अमरकांत नई -कहानी आन्दोलन के प्रमुख लेखको में से एक हैं . मुख्य रूप से समाज के निम्न मध्य वर्ग का चित्रण करने वाले अमरकांत को आजादी के बाद के दुःख ,निराशा,मोहभंग और कुंठा का लेखक माना जाता है .
राजेन्द्र यादव उन्हे मानसिक टुच्चेपन का कुशल कलाकार मानते है . अपने निरीह पात्रो के मनोवैज्ञानिक चित्रण में उनका कोई शानी नहीं है .
एक उपन्यास कार के रूप में अमरकांत को उतनी ख्याति नहीं मिली ,जितनी कि एक कहानीकार के रूप में. लेकिन इधर उनके कई उपन्यासों कि चर्चा हो रही है . इन्ही हथियारों से उपन्यास पे उन्हे २००७ का साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला . अमरकांत का यह उपन्यास कई संदर्भो में अनोखा है ,जैसे कि
- यह अमरकांत का पहला उपन्यास है जन्हा वे आजादी के बाद कि निराशा और कुंठा को नहीं, बल्कि आजादी के पहले कि स्थिति का चित्रण करते हैं .
- इस उपन्यास में निराशा नहीं बल्कि आने वाले कल के सपनो का चित्रण किया गया है .
- इस उपन्यास के माध्यम से अमरकांत ने गांधी के पुनर्मूल्यांकन कि बात कि है .
- इस उपन्यास में अमरकांत गांधीवाद के समर्थक नजर आते हैं .
- इस उपन्यास के माध्यम से उन्होंने बलिया अंचल कि संस्कृति का विस्तार से वर्णन किया है .
- अमरकांत आंचलिक उपन्यासकार भले ही न हो,लेकिन उनके इस उपन्यास में आंचलिकता बोध बड़ी गहराई से दीखता है .
- बलिया कि १९४२ कि क्रांति का बड़ा ही मार्मिक चित्रण इस उपन्यास में है .
- ऐतिहाशिक बोध का उपन्यास होते हुए भी,यह ऐतिहाशिक उपन्यास की श्रेणी में नहीं आता .
- इस उपन्यास में इतिहास और कल्पना का सुंदर समन्वय किया गया है .
- इस उपन्यास में कोई मुख्य पात्र नहीं है ,उपन्यास के केन्द्र में बलिया ही है .
- कई छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से अमरकांत ने तात्कालीन समाज का चित्र उकेरने का काम इस उपन्यास के माध्यम से किया है .
- इस उपन्यास के माध्यम से अमरकांत ने वेश्याओं के जीवन को भी चित्रित करने का प्रयास किया है .
- इस उपन्यास की अधिकाँश प्रेम कहानियां असफल दिखाई गई हैं, जिसका कारण मध्यमवर्गीय मानसिकता है .
- निम्न वर्ग के पात्र अपने निर्णयों में मध्यवर्ग की तुलना में अधिक परिपक्क दिखाए गए हैं .
- अमरकांत के इस उपन्यास में तत्सम शब्दों की संख्या अधिक है .
- अमरकांत का यह उपन्यास अपने समय का जीवंत दस्तावेज प्रस्तुत करता है, निश्चित ही यह महाकाव्यात्मक गरिमा का उपन्यास है .
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