Wednesday, 21 October 2009

नाराज मत हो ,प्यार कर ,अंहकार मत हो /

मोहब्बत की दूरियों पे ,अपनी मजबूरियों पे ;

नाराज मत हो ,विश्वास कर ,इंकार मत हो /

तकलीफों की मुस्कराहट पे ,मुसीबतों की आहटों पे ;

नाराज मत हो ,विचार कर , तकरार मत हो /

आंसुओं की कोशिश पे ,भावों की कशिश पे ;

नाराज मत हो ,स्वीकार कर ,दुस्वार मत हो /

अपनो के तानो पे ,रिश्तों के बानो पे ;

नाराज मत हो , ख़याल कर उदास मत हो /

प्यार के धोखे पे ; मोहब्बत की उलझनों पे ;

नाराज मत हो , इश्क कर ,बदहवास मत हो /

नसीब की डोरियों पे ,तिरस्कार की बोलियों पे ;

नाराज मत हो ,सम्मान कर , अविश्वास मत हो /

बिखरे सपनों पे , छुटे अपनो पे ;

नाराज मत हो ,आगाज कर , इतिहास मत हो ;

सपने खिल जायेंगे , अपने मिल जायेंगे ;

प्यार भर भावों में ;सहजता ला मुलाकातों में ;

नम्र कर सोचों को ;सब्र भर बातों में ;

हारी बाजी जीतेगा तू ,अहसास ला मुलाकातों में ;

व्यवहार में स्वार्थ मत ला , मन में दुराव मत ला ;

नाराज मत हो ,प्यार कर ,अंहकार मत हो /

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..