Sunday, 11 October 2009

आज जो तुम याद आए ----------

आज जो तुम याद आए,
न जाने क्यो हम बहुत घबराए ।
दोष तो तुम्हे देते रहे अभी तक,
आज ख़ुद का सामना नही कर पाये।

काश वे पल एक बार फ़िर मिल पाते तो,
सुधारता अपनी गलतियों को ।
तुम्हारे लिए नही ,
अपनी लिए ही क्योंकि ,
तुम्हारे बाद मैं ,
तुम्हारे साथ की ही तरह ,
चैन से सोना चाहता हूँ ।

1 comment:

  1. तुम्हारे बाद मैं ,
    तुम्हारे साथ की ही तरह ,
    चैन से सोना चाहता हूँ ।
    सुंदर अभिव्यक्ति.
    मेरा ब्लॉग ज्वाइन करने के लिए दन्यवाद

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