Saturday, 10 October 2009

कैसे मैं अभिप्राय को बदलूं ?

बात नही करते तो क्या हम भूल गए ,

पैगाम नही कहते तो क्या सम्बन्ध छुट गए ;

तुझे खुशियाँ मेरी रास ना आई ,

तो गम के रिश्ते क्या टूट गए ;

भावों को तुने बदला ,

तो क्या मेरे अरमान सूख गए /

धरती ने नियती नही बदली ,

आसमान ने सीरत नही बदली ;

हवा ने बदला नही बहना,

सांसों ने बदला नही चलना ;

मै कैसे अपने प्यार को बदलूं ,

कैसे जीवन के आधार को बदलूं ;

हट नही ये सच्चाई है ,

तेरा प्यार मेरी खुदाई है ;

कैसे मैं भगवान को बदलूं ,

कैसे मै जज्बात को बदलूं ;

मै तुच्छ सही पर ये भी सच है ;

तेरी मोहब्बत मेरा रब है ;

रब की कैसे चाह मै बदलूं ,

कैसे मैं अभिप्राय को बदलूं ?

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..