इक चाहत है ख़ुद से जुदा होने की ;
मोहब्बत में खुदा होने की ;
जी ना सके संग तेरे क्या हुआ ;
तमन्ना है तेरे इश्क में फ़ना होने की ;
मेरे अहसास अपने दिल में तू समेट ना सकी ;
मेरी दुरी को मोहब्बत में लपेट ना सकी ;
क्या कहूँ तेरे अरमां औ तेरी जरूरतों को ;
कैसे तू प्यार के जज्बे को सहेज ना सकी ?
तू गर्वित है अपने हालात पे ;
अपनी सफलता और बड़ती आगाज पे ;
क्या कहूँ मोहब्बत तेरी बिखरती जवानी पे ;
कैसे वो मेरी आखों में आंसुओं को रोक ना सकी ?
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