मेरी यादों से जब भी मिली होगी
वो अंदर ही अंदर खिली होगी .
सब के सवालों के बीच में ,
वह बनी एक पहेली होगी .
यंहा में हूँ तनहा-तनहा ,
वंहा छत पे वो भी अकेली होगी .
सूने से खाली रास्तों पे ,
वह अकेले ही मीलों चली होगी .
यूँ बाहर से खामोश है मगर,
उसके अंदर एक चंचल तितली होगी .
जो जला डी गयी बड़ी बेरहमी से,
वो बेटी भी नाजों से पली होगी .
Saturday, 30 January 2010
तुझे चाहा मगर कह नहीं पाया यारा
तुझे चाहा मगर कह नहीं पाया यारा
अपना हो कर भी रह गया पराया यारा
पास था यूँ तो तेरे बहुत लेकिन,
प्यासा मैं दरिया पे भी रह गया यारा .
जिन्दा हूँ सब ये समझते हैं लेकिन,
मुझे मरे तो जमाना हो गया यारा .
अब आवाज भी लंगाऊं तो किसको,
मेरा अपना तो कोई ना रहा यारा.
सालों से तेरी यादों से ही ,
मैंने खुद को ही जलाया यारा .
अपना हो कर भी रह गया पराया यारा
पास था यूँ तो तेरे बहुत लेकिन,
प्यासा मैं दरिया पे भी रह गया यारा .
जिन्दा हूँ सब ये समझते हैं लेकिन,
मुझे मरे तो जमाना हो गया यारा .
अब आवाज भी लंगाऊं तो किसको,
मेरा अपना तो कोई ना रहा यारा.
सालों से तेरी यादों से ही ,
मैंने खुद को ही जलाया यारा .
सपनो से भी जादा कुछ हो .
मैं जितना सोचता हूँ,
तुम उससे जादा कुछ हो .
गीत,ग़ज़ल,कविता से भी,
जादा प्यारी तुम कुछ हो .
प्यार,मोहब्बत और सम्मोहन,
इससे बढकर के भी कुछ हो .
रूप,घटा,शहद -चांदनी,
प्यारी इनसे जादा कुछ हो .
जितना मैंने लिख डाला,
उससे जादा ही कुछ हो .
शायद मेरी चाहत से भी,
सपनो से भी जादा कुछ हो .
तुम उससे जादा कुछ हो .
गीत,ग़ज़ल,कविता से भी,
जादा प्यारी तुम कुछ हो .
प्यार,मोहब्बत और सम्मोहन,
इससे बढकर के भी कुछ हो .
रूप,घटा,शहद -चांदनी,
प्यारी इनसे जादा कुछ हो .
जितना मैंने लिख डाला,
उससे जादा ही कुछ हो .
शायद मेरी चाहत से भी,
सपनो से भी जादा कुछ हो .
तेरी खुली जुल्फों की छाँव सी,**********
तेरी सूरत जो आँखों में बसी है,
उसमे मेरी चाहत की नमी है .
किसको क्या-क्या बताऊँ यारों,
मेरे जीवन में उसकी ही कमी है .
जन्हा था वन्ही रुक गया हूँ,
तेरे बिना सफर की हिम्मत थमी है .
तेरी खुली जुल्फों की छाँव सी,
इस जन्हा में कोई जन्नत नही है .
तेरे बाद बंजर की तरह ही,
उसमे मेरी चाहत की नमी है .
किसको क्या-क्या बताऊँ यारों,
मेरे जीवन में उसकी ही कमी है .
जन्हा था वन्ही रुक गया हूँ,
तेरे बिना सफर की हिम्मत थमी है .
तेरी खुली जुल्फों की छाँव सी,
इस जन्हा में कोई जन्नत नही है .
तेरे बाद बंजर की तरह ही,
अब इस जिन्दगी की जमी है .
Friday, 29 January 2010
पाखंडी चूहा
पाखंडी चूहा :-----------------------------------
एक चीता सिगरेट का सुट्टा लगाने ही वाला था क़ि अचानक एक चूहा वहां आया और बोला “मेरे भाई छोड़ दो नशा, आओ मेरे साथ भागो , देखो ये जंगल कितना खुबसूरत है, आओ मेरे साथ दुनिया देखो''
चीते ने एक लम्हा सोचा फिर चूहे के साथ दौड़ने लगा .
आगे एक हाथी अफीम पी रहा था , चूहा फिर बोला , -
देखो मेरे भाई ये नशा छोड़ दो, ये दुनिया बहुत सुंदर है .
हाथी भी साथ दौड़ने लगा .
आगे शेर व्हिस्की पीने की तैयारी कर रहा था, चूहे ने उससे भी वही कहा .
शेर ने ग्लास साइड में रखा और चूहे को ५ - ६ थप्पड़ मारे .
हाथी बोला "अरे ये तो तुम्हे ज़िन्दगी की तरफ ले जा रहा हा , क्यों मार रहे हो इस बेचारे को ?"
शेर बोला , "यह कमीना पिछली बार भी कोकीन पी कर मुझे ३ घंटे जंगल मे घुमाता रहा''.यह एस ही है . खुद तो पी लेता है,बाद में सब को ज्ञान देता है .
यह ज्ञानी चूहा पाखंडी है . पाखंडी चूहा
एक चीता सिगरेट का सुट्टा लगाने ही वाला था क़ि अचानक एक चूहा वहां आया और बोला “मेरे भाई छोड़ दो नशा, आओ मेरे साथ भागो , देखो ये जंगल कितना खुबसूरत है, आओ मेरे साथ दुनिया देखो''
चीते ने एक लम्हा सोचा फिर चूहे के साथ दौड़ने लगा .
आगे एक हाथी अफीम पी रहा था , चूहा फिर बोला , -
देखो मेरे भाई ये नशा छोड़ दो, ये दुनिया बहुत सुंदर है .
हाथी भी साथ दौड़ने लगा .
आगे शेर व्हिस्की पीने की तैयारी कर रहा था, चूहे ने उससे भी वही कहा .
शेर ने ग्लास साइड में रखा और चूहे को ५ - ६ थप्पड़ मारे .
हाथी बोला "अरे ये तो तुम्हे ज़िन्दगी की तरफ ले जा रहा हा , क्यों मार रहे हो इस बेचारे को ?"
शेर बोला , "यह कमीना पिछली बार भी कोकीन पी कर मुझे ३ घंटे जंगल मे घुमाता रहा''.यह एस ही है . खुद तो पी लेता है,बाद में सब को ज्ञान देता है .
यह ज्ञानी चूहा पाखंडी है . पाखंडी चूहा
शिक्षा का व्यवसायीकरण : उचित या अनुचित
शिक्षा का व्यवसायीकरण : उचित या अनुचित
हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि हमे वही शिक्षा लेनी चाहिए जिसके माध्यम से हम अपनी आजीविका चला सकें. इसी बात को आज के बाजारीकरण और भू मंडलीकरण के युग में बढ़ावा मिला है . व्यावसायिक शिक्षा की तरफ लोंगो का रुझान देखकर के ही कई राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक घरानों ने शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करना शुरू किया. वैसे भी सिर्फ सरकार के भरोसे शिक्षा क्षेत्र में इतनी बड़ी पूँजी का निवेश संभव ही नहीं था . उदारवादी मापदंड जो १९९० के बाद अपनाए गए,उन्होंने इस क्षेत्र में क्रांति की . निजी क्षेत्र से पूँजी का आना और बड़े-बड़े अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों का खुलना भारत के लिए बहुत ही सुखद रहा .
इस देश में लाखों नए शिक्षा संस्थान खुले. हजारों लोगों को रोजगार मिला . लाखो विद्यार्थियों को इसका पूरा लाभ मिला . जो बच्चे विदेशों में शिक्षा लेन जाते थे, वे अपने ही देश में रुक गए. इस तरह जो पैसा विदेशों में जाता था वह देश में ही रह गया . शिक्षा के स्तर में सुधार आया . रोजगार के अच्छे अवसर इस देश में ही उपलब्ध होने लगे . देश की अंतर्राष्ट्रीय शाख में सुधार हुआ . पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंग के मंडल आयोग के बाद आरक्षण का जो जिन सवर्ण विद्यार्थियों को मुसीबत नजर आ रहा था, उससे बचने के लिए ये बच्चे सरकारी नौकरियों का मोह त्याग कर व्यावसायिक शिक्षा की तरफ उन्मुख हुए और मल्टी नेशनल कम्पनियों में मोटी तनख्वाह के काम करने लगे. यह सब उन के लिए एक नई दिशा थी .
लेकिन इस शिक्षा के निजीकरण के कुछ नकारात्मक बिदु भी सामने आये. कई लोग सिर्फ व्यावसायिक दृष्टि कोन के साथ इस क्षेत्र में आये और मुनाफाखोरी के लिए हर सही गलत काम करने लगे .इससे नैतिकता का पतन हुआ . कई बच्चों के भविष्य के साथ खेला गया . उन्हें आर्थिक नुक्सान हुआ . सरकार के खिलाफ आवाज उठाई गई . अंतर्राष्ट्रीय स्तर पे भारत की साख पे बट्टा लगा . यु.जी.सी. को सख्त कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ा . आज भी आप यु.जी.सी. की वेब साईट www.ugc.ac.इन पे जा कर फेक यूनिवर्सिटी की लिस्ट देख सकते हैं. हाल ही में देश की ४४ डीम्ड यूनिवर्सिटी पे कार्यवाही का मन सरकार ने बनाया था. ये सब बातें साफ़ इशारा करती हैं की शिक्षा के क्षेत्र में सब ठीक नही हो रहा है .
मेरे मतानुसार शिक्षा क्षेत्र के इस निजीकरण और इसके साथ साथ इसके बढ़ रहे इस व्यावसायिक रूप में बुराई नहीं है. लेकीन सिर्फ और सिर्फ व्यावसायिक दृष्टिकोण को सही नहीं कहा जा सकता . यंहा एक सामजिक और राष्ट्रिय आग्रह का होना भी बहुत जरूरी है . सामाजिक और नैतिक दायित्व का बोध भी जरूरी है .
आप क्या सोचते हैं ?
हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि हमे वही शिक्षा लेनी चाहिए जिसके माध्यम से हम अपनी आजीविका चला सकें. इसी बात को आज के बाजारीकरण और भू मंडलीकरण के युग में बढ़ावा मिला है . व्यावसायिक शिक्षा की तरफ लोंगो का रुझान देखकर के ही कई राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक घरानों ने शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करना शुरू किया. वैसे भी सिर्फ सरकार के भरोसे शिक्षा क्षेत्र में इतनी बड़ी पूँजी का निवेश संभव ही नहीं था . उदारवादी मापदंड जो १९९० के बाद अपनाए गए,उन्होंने इस क्षेत्र में क्रांति की . निजी क्षेत्र से पूँजी का आना और बड़े-बड़े अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों का खुलना भारत के लिए बहुत ही सुखद रहा .
इस देश में लाखों नए शिक्षा संस्थान खुले. हजारों लोगों को रोजगार मिला . लाखो विद्यार्थियों को इसका पूरा लाभ मिला . जो बच्चे विदेशों में शिक्षा लेन जाते थे, वे अपने ही देश में रुक गए. इस तरह जो पैसा विदेशों में जाता था वह देश में ही रह गया . शिक्षा के स्तर में सुधार आया . रोजगार के अच्छे अवसर इस देश में ही उपलब्ध होने लगे . देश की अंतर्राष्ट्रीय शाख में सुधार हुआ . पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंग के मंडल आयोग के बाद आरक्षण का जो जिन सवर्ण विद्यार्थियों को मुसीबत नजर आ रहा था, उससे बचने के लिए ये बच्चे सरकारी नौकरियों का मोह त्याग कर व्यावसायिक शिक्षा की तरफ उन्मुख हुए और मल्टी नेशनल कम्पनियों में मोटी तनख्वाह के काम करने लगे. यह सब उन के लिए एक नई दिशा थी .
लेकिन इस शिक्षा के निजीकरण के कुछ नकारात्मक बिदु भी सामने आये. कई लोग सिर्फ व्यावसायिक दृष्टि कोन के साथ इस क्षेत्र में आये और मुनाफाखोरी के लिए हर सही गलत काम करने लगे .इससे नैतिकता का पतन हुआ . कई बच्चों के भविष्य के साथ खेला गया . उन्हें आर्थिक नुक्सान हुआ . सरकार के खिलाफ आवाज उठाई गई . अंतर्राष्ट्रीय स्तर पे भारत की साख पे बट्टा लगा . यु.जी.सी. को सख्त कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ा . आज भी आप यु.जी.सी. की वेब साईट www.ugc.ac.इन पे जा कर फेक यूनिवर्सिटी की लिस्ट देख सकते हैं. हाल ही में देश की ४४ डीम्ड यूनिवर्सिटी पे कार्यवाही का मन सरकार ने बनाया था. ये सब बातें साफ़ इशारा करती हैं की शिक्षा के क्षेत्र में सब ठीक नही हो रहा है .
मेरे मतानुसार शिक्षा क्षेत्र के इस निजीकरण और इसके साथ साथ इसके बढ़ रहे इस व्यावसायिक रूप में बुराई नहीं है. लेकीन सिर्फ और सिर्फ व्यावसायिक दृष्टिकोण को सही नहीं कहा जा सकता . यंहा एक सामजिक और राष्ट्रिय आग्रह का होना भी बहुत जरूरी है . सामाजिक और नैतिक दायित्व का बोध भी जरूरी है .
आप क्या सोचते हैं ?
मजदूर मसीहा -प्रवीण बाजपयी
मजदूर मसीहा -प्रवीण बाजपयी ******
मुंबई में रहते हुए कई लोगों से मिलने का अवसर मुझे बराबर मिलता रहा ,लेकिन जिन्दगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आप से एक बार मिल के आप को लम्बे समय तक प्रभावित करते हैं. फिर वो आप से दूर भी हों तो भी आप हमेशा ऐसे लोगों को उनके विचारों के माध्यम से करीब पाते हैं .
श्री प्रवीण बाजपयी भी चंद उन्ही लोगों में से से हैं जिन्होंने ने मुझे बखूबी प्रभावित किया . अब तो साल में कभी कबार ही उनसे मिलना हो पाता है, लेकिन अपनी जरूरत पे मैं हरदम उन्हें अपने पास पाता हूँ .एक सच्चे फ्रेंड,फिलासफर और गाइड कि तरह .
जब प्रवीन भाई कल्याण में रहते थे तो उनका घर ही मेरा घर था , भाभी से माँ तुल्य प्रेम और स्नेह मिलता था . लेकिन कतिपय व्यक्तिगत कारणों से प्रवीण भाई को परेल रहने के लिए जाना पड़ा . मैं भी अपने शोध कार्य और फिर नौकरी में ऐसा उलझा कि अब फ़ोन पे ही दुआ-सलाम हो पाता है .
लेकिन इन दूरियों ने दिलों के रिश्ते को कमजोर नहीं होने दिया. अपनेपन कि ऊर्जा हमेशा बनी रही . जब भी कभी मैंने भईया को कल्याण बुलाया वे सारी व्यस्तताओं में से भी समय निकाल कर आये . स्वास्थ की तकलीफों के बीच आये . पारिवारिक और राजनैतिक समस्याओं को दर किनार कर आये . मुझे मेरे इस भाई पे गर्व है .
आप शायद यह सोच रहे होगें कि मैं ब्लॉग पे किसी अपने करीबी का गुणगान क्यों कर रहा हूँ ? मित्रो, जिन्दगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका हम सम्मान तो करते हैं, लेकिन कभी औपचारिक रूप से कह नहीं पाते . लेकिन उम्र के लगभग ३० वसंत पूरा करते करते मुझे यह लगने लगा है कि ,किसी से प्यार हो, किसी के प्रति स्नेह हो,आदर हो तो हमे कहना जरूर चाहिए. क्या पता जिन्दगी कल ये मौका दे या ना दे .
वैसे मुंबई वालों के लिए प्रवीण बाजपयी कोई नया नाम नहीं है . आप सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के मुंबई डिविजन के अध्यक्ष हैं. रेल केसरी पत्रिका के कार्यकारी संपादक हैं ,और एक अच्छे कवि भी हैं . अगर आप नेट पे ही प्रवीण जी से मिलना चाहें , तो निम्नलिखित लिंक का उपयोग कर सकते हैं
praveenbajpai.crms@gmail.कॉम
ttp://www.facebook.com/reqs.php#/photo.php?pid=385531&op=1&o=global&view=global&subj=1635027107&id=1635027107
मुंबई में रहते हुए कई लोगों से मिलने का अवसर मुझे बराबर मिलता रहा ,लेकिन जिन्दगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आप से एक बार मिल के आप को लम्बे समय तक प्रभावित करते हैं. फिर वो आप से दूर भी हों तो भी आप हमेशा ऐसे लोगों को उनके विचारों के माध्यम से करीब पाते हैं .
श्री प्रवीण बाजपयी भी चंद उन्ही लोगों में से से हैं जिन्होंने ने मुझे बखूबी प्रभावित किया . अब तो साल में कभी कबार ही उनसे मिलना हो पाता है, लेकिन अपनी जरूरत पे मैं हरदम उन्हें अपने पास पाता हूँ .एक सच्चे फ्रेंड,फिलासफर और गाइड कि तरह .
जब प्रवीन भाई कल्याण में रहते थे तो उनका घर ही मेरा घर था , भाभी से माँ तुल्य प्रेम और स्नेह मिलता था . लेकिन कतिपय व्यक्तिगत कारणों से प्रवीण भाई को परेल रहने के लिए जाना पड़ा . मैं भी अपने शोध कार्य और फिर नौकरी में ऐसा उलझा कि अब फ़ोन पे ही दुआ-सलाम हो पाता है .
लेकिन इन दूरियों ने दिलों के रिश्ते को कमजोर नहीं होने दिया. अपनेपन कि ऊर्जा हमेशा बनी रही . जब भी कभी मैंने भईया को कल्याण बुलाया वे सारी व्यस्तताओं में से भी समय निकाल कर आये . स्वास्थ की तकलीफों के बीच आये . पारिवारिक और राजनैतिक समस्याओं को दर किनार कर आये . मुझे मेरे इस भाई पे गर्व है .
आप शायद यह सोच रहे होगें कि मैं ब्लॉग पे किसी अपने करीबी का गुणगान क्यों कर रहा हूँ ? मित्रो, जिन्दगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका हम सम्मान तो करते हैं, लेकिन कभी औपचारिक रूप से कह नहीं पाते . लेकिन उम्र के लगभग ३० वसंत पूरा करते करते मुझे यह लगने लगा है कि ,किसी से प्यार हो, किसी के प्रति स्नेह हो,आदर हो तो हमे कहना जरूर चाहिए. क्या पता जिन्दगी कल ये मौका दे या ना दे .
वैसे मुंबई वालों के लिए प्रवीण बाजपयी कोई नया नाम नहीं है . आप सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के मुंबई डिविजन के अध्यक्ष हैं. रेल केसरी पत्रिका के कार्यकारी संपादक हैं ,और एक अच्छे कवि भी हैं . अगर आप नेट पे ही प्रवीण जी से मिलना चाहें , तो निम्नलिखित लिंक का उपयोग कर सकते हैं
praveenbajpai.crms@gmail.कॉम
ttp://www.facebook.com/reqs.php#/photo.php?pid=385531&op=1&o=global&view=global&subj=1635027107&id=1635027107
Wednesday, 27 January 2010
धर्म ही नहीं ,विज्ञान सम्मत भी है वर्ण व्यवस्था -------------
धर्म ही नहीं ,विज्ञान सम्मत भी है वर्ण व्यवस्था -------------
किसी को बुरा लगे, यह तो एक ब्लागर होने के नाते मै नहीं चाहूँगा ,लेकिन यह एक कडवी सच्चाई है कि आज कल भारतीय हो कर भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति का मजाक उडाना एक फैशन सा हो गया है. जिसे वेदों के बारे में कुछ भी पता नहीं वो भी इनकी चुटकी लेने में पीछे नहीं रहता . इस से भी अजीब बात तो यह है कि हमारे देश में अमेरिका और चीन के इतिहास को पढ़ने कि तो व्यवस्था है,लेकिन अपने ही वेदों और पुरानो का ज्ञान हम नई पीढ़ी को देना जरूरी नहीं समझते. अगर कोई इस तरह कि शिक्षा लेना भी चाहे तो उसे विशेष प्रकार के गुरुकुल या वैदिक संस्थानों कि मदद लेनी पड़ती है . हम अपने ही ज्ञान को अज्ञानता वश बड़े गर्व से आज नकार रहे हैं . सचमुच यह हम सभी भारतियों के लिए शर्म कि बात है . आज अगर कोई अपने धर्म,देश और वेदों की बात करता है तो हम तुरंत उसे राष्ट्रवादी या संकुचित मानसिकता का करार देते हुए उसे दलितों और स्त्रियों का घोर विरोधी मान लेते हैं. जब की इन बातों का यथार्थ से कुछ भी लेना देना नहीं है
बात साफ़ है कि हम अपने ही देश के ज्ञान से अनजान बने हुए हैं और दुनिया उसी के आधार पे आगे बढ़ रही है . आवश्यकता इस बात कि है हम अपने वेदों -पुरानो के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलते हुए इसे आत्म साथ करे .यह नहीं कि अज्ञानता वश हम अपने ही वेदों और पुरानो कि बुराई कर
अधिक आधुनिक और उदारवादी बनने का ढोंग करते रहे. .ttp://www.ria.ie/news/watson2.html
हमे अपनी अश्मिता और गरिमा को खुद पहचानना होगा,न कि इस बात का इन्तजार करना चाहिए कि पहले कोई विदेशी हमारी चीजों को अच्छा कह दे फिर हम उसका गुणगान करना शुरू करे
.
DR.WATSON ८६ वे साइंस कांग्रेस में भाग लेने जब चेन्नई आये हुए थे तो उन्होंने भारतीय वर्ण व्यस्था की तारीफ़ करते हुए इसे जींस की शुद्धता के लिए महत्वपूर्ण बताया था. साथ ही साथ उन्होंने अरेंज मैरेज को भी BETTER GENE POOLS के लिए सही माना था . लेकिन उस समय इस तरह के शोध को ले कर एक डर यह भी था कि SUCH RESEARCH WOULD REINFORCE THE VARNA SYSTEM WITH GENETIC EVIDENCE. प्रश्न यह उठता है कि जो बात विज्ञान के माध्यम से सही साबित हो रही है, उसे सामने लाने से रोकना कंहा तक सही होगा ?
इसका जवाब हम सभी को देना होगा . वैसे आप इस बारे में क्या सोचते हैं ? टिप्पणियों के माध्यम से सूचित करे
.
(मैं जिस लेख की बात कर रहा हूँ वह टाइम्स ऑफ़ इंडिया में १९९८-१९९९ में छपा था . उस लेख का शीर्षक ही था - watson allays fears on misuse of genetic knowhow / अगर आप चाहेंगे तो इस आर्टिकल को स्कैन कर नेट पे ड़ाल दूंगा . )
किसी को बुरा लगे, यह तो एक ब्लागर होने के नाते मै नहीं चाहूँगा ,लेकिन यह एक कडवी सच्चाई है कि आज कल भारतीय हो कर भी भारतीय सभ्यता और संस्कृति का मजाक उडाना एक फैशन सा हो गया है. जिसे वेदों के बारे में कुछ भी पता नहीं वो भी इनकी चुटकी लेने में पीछे नहीं रहता . इस से भी अजीब बात तो यह है कि हमारे देश में अमेरिका और चीन के इतिहास को पढ़ने कि तो व्यवस्था है,लेकिन अपने ही वेदों और पुरानो का ज्ञान हम नई पीढ़ी को देना जरूरी नहीं समझते. अगर कोई इस तरह कि शिक्षा लेना भी चाहे तो उसे विशेष प्रकार के गुरुकुल या वैदिक संस्थानों कि मदद लेनी पड़ती है . हम अपने ही ज्ञान को अज्ञानता वश बड़े गर्व से आज नकार रहे हैं . सचमुच यह हम सभी भारतियों के लिए शर्म कि बात है . आज अगर कोई अपने धर्म,देश और वेदों की बात करता है तो हम तुरंत उसे राष्ट्रवादी या संकुचित मानसिकता का करार देते हुए उसे दलितों और स्त्रियों का घोर विरोधी मान लेते हैं. जब की इन बातों का यथार्थ से कुछ भी लेना देना नहीं है
बात साफ़ है कि हम अपने ही देश के ज्ञान से अनजान बने हुए हैं और दुनिया उसी के आधार पे आगे बढ़ रही है . आवश्यकता इस बात कि है हम अपने वेदों -पुरानो के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलते हुए इसे आत्म साथ करे .यह नहीं कि अज्ञानता वश हम अपने ही वेदों और पुरानो कि बुराई कर
अधिक आधुनिक और उदारवादी बनने का ढोंग करते रहे. .ttp://www.ria.ie/news/watson2.html
हमे अपनी अश्मिता और गरिमा को खुद पहचानना होगा,न कि इस बात का इन्तजार करना चाहिए कि पहले कोई विदेशी हमारी चीजों को अच्छा कह दे फिर हम उसका गुणगान करना शुरू करे
.
DR.WATSON ८६ वे साइंस कांग्रेस में भाग लेने जब चेन्नई आये हुए थे तो उन्होंने भारतीय वर्ण व्यस्था की तारीफ़ करते हुए इसे जींस की शुद्धता के लिए महत्वपूर्ण बताया था. साथ ही साथ उन्होंने अरेंज मैरेज को भी BETTER GENE POOLS के लिए सही माना था . लेकिन उस समय इस तरह के शोध को ले कर एक डर यह भी था कि SUCH RESEARCH WOULD REINFORCE THE VARNA SYSTEM WITH GENETIC EVIDENCE. प्रश्न यह उठता है कि जो बात विज्ञान के माध्यम से सही साबित हो रही है, उसे सामने लाने से रोकना कंहा तक सही होगा ?
इसका जवाब हम सभी को देना होगा . वैसे आप इस बारे में क्या सोचते हैं ? टिप्पणियों के माध्यम से सूचित करे
.
(मैं जिस लेख की बात कर रहा हूँ वह टाइम्स ऑफ़ इंडिया में १९९८-१९९९ में छपा था . उस लेख का शीर्षक ही था - watson allays fears on misuse of genetic knowhow / अगर आप चाहेंगे तो इस आर्टिकल को स्कैन कर नेट पे ड़ाल दूंगा . )
Monday, 25 January 2010
राष्ट्र के विकास में राष्ट्रभाषा हिंदी का योगदान -part 2
आज के टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक खबर थी कि गुजरात हाई कोर्ट ने स्वीकार किया कि देश में कोई राष्ट्र भाषा नहीं है .यह खबर आप अगर विस्तार से पढना चाहते हैं तो नीचे दिए लिंक पे क्लिक कर के पढ़ सकते हैं .
There's no national language in India: Gujarat High Courthttp://timesofindia.indiatimes.com/india/Theres-no-national-language-in-India-Gujarat-High-Court/articleshow/5496231.cms
वैसे मैं इस बारे में अपने पहले वाले पोस्ट में लिख भी चुका हूँ .राष्ट्र के विकास में राष्ट्रभाषा हिंदी का योगदान -part 1.
अब आज फिर उसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहना चाहता हूँ कि यह सच है कि हिंदी अभी तक हमारी राष्ट्र भाषा नहीं बन पायी है ,लेकिन इसे राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हिंदी वालों को एक नया आन्दोलन खड़ा करना होगा .
ऐसे में एक सवाल यह भी उठ सकता है कि हिंदी को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा क्यों दिया जाय ? इसके जवाब में मैं कुछ बिन्दुओं को आपके सामने रखना चाहूँगा .इस देश की राष्ट्रभाषा हिंदी ही हो सकती है क्योंकि---
और भी कई बाते हिंदी के पक्ष में रखी जा सकती हैं . लेकिन यंहा इतना पर्याप्त है. मैं हिंदी वालों से फिर कहूँगा कि हमे हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलाने के लिए एक नया आन्दोलन खड़ा करना होगा . हिंदी को संविधान सम्मत राष्ट्रभाषा बनाना ही होगा .
There's no national language in India: Gujarat High Courthttp://timesofindia.indiatimes.com/india/Theres-no-national-language-in-India-Gujarat-High-Court/articleshow/5496231.cms
वैसे मैं इस बारे में अपने पहले वाले पोस्ट में लिख भी चुका हूँ .राष्ट्र के विकास में राष्ट्रभाषा हिंदी का योगदान -part 1.
अब आज फिर उसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहना चाहता हूँ कि यह सच है कि हिंदी अभी तक हमारी राष्ट्र भाषा नहीं बन पायी है ,लेकिन इसे राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हिंदी वालों को एक नया आन्दोलन खड़ा करना होगा .
ऐसे में एक सवाल यह भी उठ सकता है कि हिंदी को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा क्यों दिया जाय ? इसके जवाब में मैं कुछ बिन्दुओं को आपके सामने रखना चाहूँगा .इस देश की राष्ट्रभाषा हिंदी ही हो सकती है क्योंकि---
- इस देश के बड़े भू भाग पे हिंदी बोली और समझी जाती है .
- इस देश में हिंदी संपर्क भाषा के रूप में कार्य करती है
- हिंदी को संविधान के द्वारा राजभाषा होने का गौरव प्राप्त है
- व्याकरणिक दृष्टि से भी यह एक उन्नत भाषा है
- हिंदी एक रोजगारपरक भाषा है
- हिंदी का क्षेत्र अन्य किसी भी भारतीय भाषा की तुलना में अधिक व्यापक है
- आजादी के साथ हमारे राष्ट्रीय नेताओं ने राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी की ही वकालत की
- हिंदी समझने में सहज और सरल है
- हिंदी अघोषित रूप में राष्ट्रभाषा मानी जाती रही है
- हिंदी बोलने वालों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है
- विश्व के कई देशो में हिंदी बोली और समझी जाती है
- विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन कार्य होता है
- हिंदी किसी प्रांत की भाषा न हो कर राष्ट्रिय स्वरूप की भाषा है
- हिंदी भाषा भारतीयता की प्रतीक है .
- हिंदी अनेकता में एकता का प्रतीक है .
- हिंदी राष्ट्रिय चेतना की वाहक रही है .
- हिंदी स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण हथियार था .
- हिंदी का लचीला स्वरूप इसे सहज विस्तार देता है .
- आज हिंदी विश्व भाषा के रूप में अपनी ताकत का लोहा मनवा रही है .
- आज हिंदी विश्व के सबसे बड़े बाजार की भाषा है ,इसलिए इसकी अनदेखी कोई नहीं कर सकता .
- आधुनिक तकनीकों के इस युग में हिंदी भी तकनीकी रूप में ढल चुकी है .
- हिंदी संवैधानिक दृष्टि से न सही पर व्यवहारिक दृष्टि से हमेशा से ही राष्ट्रभाषा के रूप में जानी गयी .
- हिंदी के सामान विस्तृत अन्य कोई भारतीय भाषा नहीं है .
- हिंदी इस देश की आत्मा है .
- हिंदी भाषा नहीं भाव है .
- हिंदी इस देश को जोड़ने का काम करती है .
- हिंदी इस देश की सभ्यता और संस्कृति में रची बसी है .
- तमाम भारतीय भाषों की मुखिया हिंदी ही हो सकती है .
- हिंदी इस देश में अभिव्यक्ति का सहज साधन है .
और भी कई बाते हिंदी के पक्ष में रखी जा सकती हैं . लेकिन यंहा इतना पर्याप्त है. मैं हिंदी वालों से फिर कहूँगा कि हमे हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलाने के लिए एक नया आन्दोलन खड़ा करना होगा . हिंदी को संविधान सम्मत राष्ट्रभाषा बनाना ही होगा .
Sunday, 24 January 2010
राष्ट्र के विकास में राष्ट्रभाषा हिंदी का योगदान -part 1
- राष्ट्र के विकास में राष्ट्रभाषा हिंदी का योगदान
अगर बात संवैधानिक दृष्टि कि हो तो हाँ यह सही है कि -हिंदी अभी तक कानूनी और संवैधानिक दृष्टि से हिंदी इस देश की राष्ट्र भाषा नहीं बन पायी है . एक सपना जरूर हमने देखा था,संविधान के साथ. लेकिन आपसी झगड़ों में अफ़साने ,अफ़साने ही रह गए. राष्ट्रभाषा तो दूर हिंदी सही मायनों में अभी तक राजभाषा भी नहीं बन पायी है. राजभाषा के रूप में अंग्रेजी अभी तक हिंदी के समानांतर चल रही है. बल्कि व्यव्हारिक दृष्टि से तो हिंदी को बहुत पीछे छोड़ के आगे निकल चुकी है . जिम्मेदार कौन हैं ?
निश्चित तौर पे जिम्मेदार हम हैं. हमारी सरकार है. अनेकता में एकता तो ठीक है लेकिन इस एकता में जो अनेकता है उसने बहुत से ऐसे सवाल पीछे छोड़े हैं,जिन पे हम बस मुह छुपा सकते है या शर्मिंदा हो सकते हैं. राष्ट्रभाषा हिंदी का सवाल भी ऐसे ही कुछ सवालों में से एक है .लेकिन अब वक्त आ गया है की हम इन सवालों का मुकाबला करे और आज और अभी से अपनी हिंदी को पूरे सम्मान के साथ राष्ट्र भाषा बनाने का संकल्प करे . अगर व्यवहारिक और मौखिक रूप में हिंदी को राष्ट्रभाषा मान लिया जाता है तो लिखित रूप में क्यों नहीं ?
यह लिखते हुए मैं अच्छे से समझ रहा हूँ की जो भी सरकार इस दिशा में पहल करे गी वो तीव्र राजनैतिक विरोध को झेलेगी . आज प्रांतवाद और भाषावाद जिस तरह से अपने पैर पसार रहा है, वो किसी से छुपा नहीं है . केंद्र में बैठी सरकार भी इन मुद्दों पे एकदम असहाय सा महसूश करती है . मुंबई की खबरे इस बात का जीवंत उदाहरण हैं . लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं हो सकता कि सरकार चुप-चाप बैठी रहे . वैसे ही जैसे वो पिछले ६३ सालों से बैठी है . लेकिन इस सरकार को जगाने का काम हम हिंदी की रोटी खाने वालों को करनी होगी .हमे हिंदी का लाल बनना है, दलाल नहीं .वो काम करने वालों की देश में कोई कमी नहीं है. आप सभी ये सब जानते हैं ,मैं इस बात की तरफ नहीं मुड़ना चाहता . वेसे एक बात यह भी सच है क़ि---
आज के जमाने में,ईमानदार वही है
जिसे बईमानी का अवसर नहीं मिला .
आशा है आप इस तरह के ईमानदार नहीं हैं . और अगर हैं तो माफ़ कीजिये आप से कुछ भी नहीं होने वाला . यंहा तो जरूरत उसकी है जो घर फूंके आपना वो चले हमारे साथ .तो कुल मिला के हमे निःस्वार्थ भाव से हिंदी के सम्मान के लिए लड़ना होगा . क्या आप तैयार हैं ?
Saturday, 23 January 2010
गुस्सा !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
गुस्सा !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
आज लगभग १५ दिन से घर में रंग-रोगन का काम हो रहा था. शाम को कॉलेज से वापस आते समय मैं खुश था कि आज मुझे वही धूल,अस्त-व्यस्त सामान और रंगों की अजीब सी ताज़ी महक झेलनी नहीं पड़ेगी . घर पंहुचा तो अपना ही घर अपना नहीं लग रहा था . पूरा घर एक दम सुंदर,साफ़ और सुव्यवस्थित . मेरी किताबें भी माँ ने अच्छे से आलमारी में लगा कर रख दी थी .
मैं यह सब देख मन ही मन खुश हो रहा था क़ि माँ ने मेरी कितनी मेहनत बचा ली . यह सब सोचते हुए ही एक विचार मेरे पूरे शरीर को बिजली के करेंट की तरह ''झटका '' दे कर चला गया . मैंने अपनी किताबो को ध्यान से देखने लगा . आशंका अब यकीन में बदल रही थी . जिस बात का डर था वही हुआ . मेरी कई किताबें रद्दी में सिर्फ इस लिए दे दी गंयी थी क्योंकि वे बेहद पुरानी हो चुकी थी . मेरे कई स्मृति चिन्ह भी कूड़े दान की शोभा बन चुके थे . इतना ही नहीं राज्य स्तरीय दो पुरस्कारों के प्रमाण पत्र भी पुराने होने की सजा पा चुके थे .
जैसा की स्वाभाविक है, यह सब जान कर मैं आग बबूला हो गया . लेकिन कुछ कडवी बाते माँ को सुनाने
के अतरिक्त मैं कर भी क्या सकता था ? चुपचाप घर से निकल कर अपनी भडास निकालने ब्लॉग पे बैठ गया . लेकिन यह ब्लॉग लिखते-लिखते मेरा गुस्सा शांत हो चुका है . मैं यह सोच के खुश हूँ कि अब राज्य स्तरीय पुरस्कार मेरे घर में कूड़े दान के लायक समझे जाने लगे हैं . हिंदी साहित्य के कई मूल्यवान ग्रन्थ भी इसी श्रेणी में आ चुके हैं . सब माँ का आशीर्वाद है . वरना मैं महा मूर्ख इस बात से अभी तक अज्ञान था . इस अज्ञानतावश ही मैं माँ को ना जाने क्या-क्या कह आया . मुझे निश्चित ही माँ से माफ़ी मांगनी चाहिए . साथ ही साथ उनका धन्यवाद भी ज्ञापित करना चाहिए जो उन्होंने मेरे कई पुराने पर अप्रकाशित लेख नहीं फेके . यंहा तक कि अभी पन्नो पे ही लिखित डी.लिट. की आधी थेसिस भी उन्होंने कृपा पूर्वक नहीं फेका. अगर फेक भी देती तो मै क्या कर लेता ? श्रीमद भागवत गीता की वो बात याद कर के अपने आप को दिलाशा देता की-जो हुआ अच्छे के लिए हुआ .इसके अतरिक्त और रास्ता भी क्या था .
अंत में माँ को धन्यवाद और कोटि -कोटि प्रणाम !!!!
आज लगभग १५ दिन से घर में रंग-रोगन का काम हो रहा था. शाम को कॉलेज से वापस आते समय मैं खुश था कि आज मुझे वही धूल,अस्त-व्यस्त सामान और रंगों की अजीब सी ताज़ी महक झेलनी नहीं पड़ेगी . घर पंहुचा तो अपना ही घर अपना नहीं लग रहा था . पूरा घर एक दम सुंदर,साफ़ और सुव्यवस्थित . मेरी किताबें भी माँ ने अच्छे से आलमारी में लगा कर रख दी थी .
मैं यह सब देख मन ही मन खुश हो रहा था क़ि माँ ने मेरी कितनी मेहनत बचा ली . यह सब सोचते हुए ही एक विचार मेरे पूरे शरीर को बिजली के करेंट की तरह ''झटका '' दे कर चला गया . मैंने अपनी किताबो को ध्यान से देखने लगा . आशंका अब यकीन में बदल रही थी . जिस बात का डर था वही हुआ . मेरी कई किताबें रद्दी में सिर्फ इस लिए दे दी गंयी थी क्योंकि वे बेहद पुरानी हो चुकी थी . मेरे कई स्मृति चिन्ह भी कूड़े दान की शोभा बन चुके थे . इतना ही नहीं राज्य स्तरीय दो पुरस्कारों के प्रमाण पत्र भी पुराने होने की सजा पा चुके थे .
जैसा की स्वाभाविक है, यह सब जान कर मैं आग बबूला हो गया . लेकिन कुछ कडवी बाते माँ को सुनाने
के अतरिक्त मैं कर भी क्या सकता था ? चुपचाप घर से निकल कर अपनी भडास निकालने ब्लॉग पे बैठ गया . लेकिन यह ब्लॉग लिखते-लिखते मेरा गुस्सा शांत हो चुका है . मैं यह सोच के खुश हूँ कि अब राज्य स्तरीय पुरस्कार मेरे घर में कूड़े दान के लायक समझे जाने लगे हैं . हिंदी साहित्य के कई मूल्यवान ग्रन्थ भी इसी श्रेणी में आ चुके हैं . सब माँ का आशीर्वाद है . वरना मैं महा मूर्ख इस बात से अभी तक अज्ञान था . इस अज्ञानतावश ही मैं माँ को ना जाने क्या-क्या कह आया . मुझे निश्चित ही माँ से माफ़ी मांगनी चाहिए . साथ ही साथ उनका धन्यवाद भी ज्ञापित करना चाहिए जो उन्होंने मेरे कई पुराने पर अप्रकाशित लेख नहीं फेके . यंहा तक कि अभी पन्नो पे ही लिखित डी.लिट. की आधी थेसिस भी उन्होंने कृपा पूर्वक नहीं फेका. अगर फेक भी देती तो मै क्या कर लेता ? श्रीमद भागवत गीता की वो बात याद कर के अपने आप को दिलाशा देता की-जो हुआ अच्छे के लिए हुआ .इसके अतरिक्त और रास्ता भी क्या था .
अंत में माँ को धन्यवाद और कोटि -कोटि प्रणाम !!!!
Friday, 22 January 2010
पुणे विश्व विद्यालय के पी.एचडी. गाइड की लिस्ट
पुणे विश्व विद्यालय के पी.एचडी. गाइड की लिस्ट
LIST OF RECOGNIZED GUIDES FROM PUNE UNIVERSITY DEPARTMENTS
(Updated on 1st June 2009)
This list is published as per guidelines in the Norms regarding the Recognition
of Persons as Teachers of the University at different levels of various faculties.
“The teacher appointed by the University in the grade of Professor or
of Reader in the subject shall be deemed to have been a recognized
University teacher in the said subject and related areas, for all the
purposes.”
Department Name of the Teacher Qualification Designation
(Current)
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. V. B. Adhav Ph.D. Reader
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. D. B. Lokhande Ph.D. Reader
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. S. K. Shirsath Ph.D. Reader
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. J. S. Gaikwad Ph.D. Reader
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. Tej Nivalikar Ph.D. Reader
Anthropology Dr. R. D. Gambhir Ph.D. Reader
Anthropology Dr. S. S. Kulkarni Ph.D. Reader
Anthropology Dr. Smt. A. D. Kurane Ph.D. Reader
Atmospheric & Space Science Dr. P. Pradeep Kumar Ph.D. Reader
Atmospheric & Space Science Dr. A. S. Karipot Ph.D. Reader
Bio-Technology Dr. A. S. Kolaskar Ph.D. Professor
Bio-Technology Dr. J. K. Pal Ph.D. Professor
Bio-Technology Dr. W. N. Gade Ph.D. Professor
Botany Dr. B. B. Chaugule Ph.D. Professor
Botany Dr. G. S. Chinchanikar Ph.D. Professor
Botany Dr. R. J. Thengane Ph.D. Professor
Botany Dr. J. G. Vaidya Ph.D. Professor
Botany Dr. Smt. S. S. Bhargav Ph.D. Professor
Botany Dr. V. R. Gunale Ph.D. Professor
Botany Dr. K. N. Dhumal Ph.D. Professor
Botany Dr. S. S. Deokule Ph.D. Professor
Botany Dr. T. D. Nikam Ph.D. Reader
Botany Dr. Smt. P. K. Jite Ph.D. Reader
Botany Dr. Smt. N. P. Malpathak Ph.D. Reader
C. A. Studies In Sanskrit Dr. Smt. U. P.Panase Ph.D. Professor
C. A. Studies In Sanskrit Dr. B. K. Dalai Ph.D. Professor
C. A. Studies In Sanskrit Dr. Smt. J. U. Tripathy Ph.D. Reader
Chemistry Dr. Smt. R. S. Kusurkar Ph.D. Professor
Chemistry Dr. V. D. Kelkar Ph.D. Professor
Chemistry Dr. Smt. M. A. Dixit Ph.D. Professor
Chemistry Dr. S. R. Gadre Ph.D. Professor
Chemistry Dr. M. G. Kulkarni Ph.D. Professor
Chemistry Dr. D. D. Dhawale Ph.D. Professor
Chemistry Dr. Smt. N. S. Rajurkar Ph.D. Professor
Chemistry Dr. S. P. Gejji Ph.D. Professor
Chemistry Dr. K. R. Gawai Ph.D. Professor
Chemistry Dr. S. K. Pardeshi Ph.D. Reader
Chemistry Dr. K. M. Kodam Ph.D. Reader
Chemistry Dr. S. B. Waghmode Ph.D. Reader
Chemistry Dr. A. S. Kumbhar Ph.D. Reader
Chemistry Dr. S. K. Haram Ph.D. Reader
Chemistry Dr. Smt. S. G. Sabharwal Ph.D. Reader
Chemistry Dr. A. K. Nikumbh Ph.D. Reader
Chemistry Dr. Smt. S. S. Joshi Ph.D. Reader
Chemistry Dr. Smt. A. A. Athawale Ph.D. Reader
Chemistry Dr. M. V. Kulkarni Ph.D. Reader
Chemistry Dr. S. A. Salunke Ph.D. Reader
Chemistry Dr. P. D. Lokhande Ph.D. Reader
Chemistry Dr. Smt P.R.Thakur Ph.D. Reader
Communication Studies Dr. K. R. Sanap Ph.D. Professor
Communication & Journalism Dr. Smt. Ujjawala Barve Ph.D. Reader
Communication Studies Dr. Smt. Rachamalla
Madhavi
Ph.D. Reader
Defence & Strategic Studies Dr. S. B. Paranjape Ph.D. Professor
Defence & Strategic Studies Dr. A. S. Dalvi Ph.D. Professor
Defence & Strategic Studies Dr. V. S. Khare Ph.D. Reader
Defence & Strategic Studies Dr. A. K. Taj Ph.D. Reader
Economics Dr. Smt. D. M. Sathe Ph.D. Professor
Economics Dr. Smt. Rohini Sahni Ph.D. Reader
Education Dr. Sanjeev Sonawane Ph.D. Professor
English Dr. B. S. Korde Ph.D. Professor
English Dr. R. Rajrao Ph.D. Professor
English Dr. S. B. Gokhale Ph.D. Professor
English Dr. A. D. Jaaware Ph.D. Professor
Foreign Languages Dr. Smt. N. A. Badwe Ph.D. Professor
Foreign Languages Dr. C. S. Thakar Ph.D. Reader
Foreign Languages Dr. Smt. S. V. Mahajan Ph.D. Reader
Foreign Languages Dr. Smt. M. S. Paranjape Ph.D. Reader
Foreign Languages Dr. Smt. Ujjwala Joglekar Ph.D. Reader
Geography Dr. V. S. Datye Ph.D. Professor
Geography Dr. V. S. Kale Ph.D. Professor
Geography Dr. B. C. Vaidya Ph.D. Professor
Geography Dr. R. G. Jaybhaye Ph.D. Reader
Geography Dr. Smt. V. U. Joshi Ph.D. Reader
Geography Dr. Smt. V. P. Khairkar Ph.D. Reader
Geology Dr. D. N. Patil Ph.D. Professor
Geology Dr. N. R. Karmalkar Ph.D. Professor
Geology Dr. N. J. Pawar Ph.D. Professor
Geology Dr. S. J. Sangode Ph.D. Professor
Geology Dr. M. G. Kale Ph.D. Reader
Geology Dr. D. C. Meshram Ph.D. Reader
Hindi Dr. T. R. Patil Ph.D. Professor
Hindi Dr. V. N. Bhalerao Ph.D. Professor
Hindi Dr. Smt. J. V. Paranjape Ph.D. Professor
Hindi Dr. S. K. Bhosale Ph.D. Reader
History Dr. Smt. R. P. Ranade Ph.D. Professor
History Dr. D. S. Gaikwad Ph.D. Professor
History Dr. Smt. S. A. Kulkarni Ph.D. Reader
History Dr. S. M. Dixit Ph.D. Reader
History Dr. Smt. R. S. Seshan Ph.D. Reader
IDS HEALTH SCIENCE Dr. Bhushan Patwardhan Ph.D. Professor
IDS HEALTH SCIENCE Dr. Smt. A. J. Kar Ph.D. Reader
Law Dr. D. S. Ukey Ph.D. Professor
Law Dr. T.S.N.Sastry Ph.D. Professor
Law Dr. Smt. J. P. Palande Ph.D. Reader
Law Dr. Smt. D. A. Patel Ph.D. Reader
Library & Information Science Dr. S. K. Patil Ph.D. Professor
Library & Information Science Dr. R. M. Kumbhar Ph.D. Reader
Library & Information Science Dr. S. Y. Bansode Ph.D. Reader
Library & Information Science Dr. Smt. N. J. Deshpande Ph.D. Reader
Marathi Dr. A. W. Awalgaonkar Ph.D. Professor
Marathi Dr. M. J. Jadhav Ph.D. Professor
Marathi Dr. Smt. V. N. Tilak Ph.D. Reader
Marathi Dr. A. V. Sangolekar Ph.D. Reader
Marathi Dr. T. B. Rongate Ph.D. Reader
Mathematics Dr. M. M. Shikare Ph.D. Professor
Mathematics Dr. B. N. Waphare Ph.D. Professor
Mathematics Dr. S. A. Katre Ph.D. Professor
Mathematics Dr. Smt. V. S. Gejji Ph.D. Professor
Mathematics Dr. V. S. Kharat Ph.D. Professor
Mathematics Dr. Hemant Bhate Ph.D. Reader
Mathematics Dr. V. V. Joshi Ph.D. Reader
Microbiology Dr. B. P. Kapdanis Ph.D. Professor
Microbiology Dr. R. L. Deopurkar Ph.D. Professor
Microbiology Dr. B. A. Chopade Ph.D. Professor
Performing Arts Dr. Smt. S. A. Bahulikar Ph.D. Reader
Philosophy Dr. S. S. Deshpande Ph.D. Professor
Philosophy Dr. S. E. Bhelke Ph.D. Professor
Philosophy Dr. Smt. S. Kaur Chahal Ph.D. Professor
Philosophy Dr. P. P. Gokhale Ph.D. Professor
Philosophy Dr. S. S. More Ph.D. Professor
Philosophy Dr. Smt. M. R. Chinchore Ph.D. Professor
Philosophy Dr. R. T. Rathod Ph.D. Reader
Philosophy Dr. Smt. Lata Chhatre Ph.D. Reader
Physics Dr. Smt. A. A. Risbud Ph.D. Professor
Physics Dr. S. I. Patil Ph.D. Professor
Physics Dr. V. B. Asgekar Ph.D. Professor
Physics Dr. Smt. R. C. Aiyer Ph.D. Professor
Physics Dr. D. G. Kanhere Ph.D. Professor
Physics Dr. R. K. Pathak Ph.D. Professor
Physics Dr. C. V. Dharmadhikari Ph.D. Professor
Physics Dr. D. S. Joag Ph.D. Professor
Physics Dr. A. D. Gangal Ph.D. Professor
Physics Dr. P. B. Vidyasagar Ph.D. Professor
Physics Dr. S. D. Dhole Ph.D. Reader
Physics Dr. M. A. More Ph.D. Reader
Physics Dr. Smt. S. R. Mahamuni Ph.D. Reader
Physics Dr. Smt. G. R. Kulkarni Ph.D. Reader
Physics Dr. V. P. Godbole Ph.D. Reader
Physics Dr. Smt. A. L. Kshirsagar Ph.D. Reader
Physics Dr. Biswajyoti Dey Ph.D. Reader
Physics Dr. K. P. Adhi Ph.D. Reader
Physics Dr. A. V. Limaye Ph.D. Reader
Physics Dr. S. D. Sartale Ph.D. Reader
Politics & Public Administration Dr. Y. N. Sumant Ph.D. Professor
Politics & Public Administration Dr. S. V. Palshikar Ph.D. Professor
Politics & Public Administration Dr. Smt. S. Pandit Ph.D. Professor
Politics & Public Administration Dr. Smt. R. A. Deshpande Ph.D. Reader
Politics & Public Administration Dr. M. D. Kulkarni Ph.D. Reader
Politics & Public Administration Dr. H. L. Jagzap Ph.D. Reader
Psychology Dr. P. H. Lodhi Ph.D. Professor
Psychology Dr. Smt. Usha Ram Ph.D. Professor
Psychology Dr. Smt. A. J. Wadkar Ph.D. Reader
Psychology Dr. B. R. Shejwal Ph.D. Reader
Sanskrit & Prakrit Dr. Smt. S. S. Bapat Ph.D. Professor
Sanskrit & Prakrit Dr. Smt. Kanchan Mande Ph.D. Professor
Sanskrit & Prakrit Dr. Smt. S. S. Katre Ph.D. Reader
Sociology Dr. Smt. S. Patel Ph.D. Professor
Sociology Dr. Smt. Swati Shirwadkar Ph.D. Professor
Sociology Dr. Smt. S. S. Tambe Ph.D. Reader
Statistics Dr. Smt. S. A. Paranjape Ph.D. Professor
Statistics Dr. Smt. S. R. Deshmukh Ph.D. Professor
Statistics Dr. Smt. U. V. Naik
Nimbalkar
Ph.D. Professor
Statistics Dr. M. B. Rajarshi Ph.D. Professor
Statistics Dr. D. D. Hangal Ph.D. Reader
Statistics Dr. Ramanathan T.V. Ph.D. Reader
Statistics Dr. M. M. Kale Ph.D. Reader
Statistics Dr. V. K. Gedam Ph.D. Reader
Women's Studies Dr. Smt. S. R. Rege Ph.D. Reader
Zoology Dr. Smt. D. D. Deobagkar Ph.D. Professor
Zoology Dr. Smt. S. S. Ghaskadbi Ph.D. Professor
Zoology Dr. D. N. Deobagkar Ph.D. Professor
Zoology Dr. Smt. S. V. Pandit Ph.D. Reader
Zoology Dr. B. B. Nath Ph.D. Reader
Zoology Dr. A. G. Jadhav Ph.D. Reader
Zoology Dr. Smt. K. R. Pai Ph.D. Reader
Zoology Dr. Smt. V. W. Wankhade Ph.D. Reader
Zoology Dr. R. S. Pandit Ph.D. Reader
LIST OF RECOGNIZED GUIDES FROM PUNE UNIVERSITY DEPARTMENTS
(Updated on 1st June 2009)
This list is published as per guidelines in the Norms regarding the Recognition
of Persons as Teachers of the University at different levels of various faculties.
“The teacher appointed by the University in the grade of Professor or
of Reader in the subject shall be deemed to have been a recognized
University teacher in the said subject and related areas, for all the
purposes.”
Department Name of the Teacher Qualification Designation
(Current)
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. V. B. Adhav Ph.D. Reader
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. D. B. Lokhande Ph.D. Reader
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. S. K. Shirsath Ph.D. Reader
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. J. S. Gaikwad Ph.D. Reader
Adult & Continuing Edu.& Ext. Dr. Tej Nivalikar Ph.D. Reader
Anthropology Dr. R. D. Gambhir Ph.D. Reader
Anthropology Dr. S. S. Kulkarni Ph.D. Reader
Anthropology Dr. Smt. A. D. Kurane Ph.D. Reader
Atmospheric & Space Science Dr. P. Pradeep Kumar Ph.D. Reader
Atmospheric & Space Science Dr. A. S. Karipot Ph.D. Reader
Bio-Technology Dr. A. S. Kolaskar Ph.D. Professor
Bio-Technology Dr. J. K. Pal Ph.D. Professor
Bio-Technology Dr. W. N. Gade Ph.D. Professor
Botany Dr. B. B. Chaugule Ph.D. Professor
Botany Dr. G. S. Chinchanikar Ph.D. Professor
Botany Dr. R. J. Thengane Ph.D. Professor
Botany Dr. J. G. Vaidya Ph.D. Professor
Botany Dr. Smt. S. S. Bhargav Ph.D. Professor
Botany Dr. V. R. Gunale Ph.D. Professor
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C. A. Studies In Sanskrit Dr. Smt. U. P.Panase Ph.D. Professor
C. A. Studies In Sanskrit Dr. B. K. Dalai Ph.D. Professor
C. A. Studies In Sanskrit Dr. Smt. J. U. Tripathy Ph.D. Reader
Chemistry Dr. Smt. R. S. Kusurkar Ph.D. Professor
Chemistry Dr. V. D. Kelkar Ph.D. Professor
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Chemistry Dr. M. G. Kulkarni Ph.D. Professor
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Chemistry Dr. Smt. N. S. Rajurkar Ph.D. Professor
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Chemistry Dr. A. S. Kumbhar Ph.D. Reader
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Chemistry Dr. P. D. Lokhande Ph.D. Reader
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Communication Studies Dr. K. R. Sanap Ph.D. Professor
Communication & Journalism Dr. Smt. Ujjawala Barve Ph.D. Reader
Communication Studies Dr. Smt. Rachamalla
Madhavi
Ph.D. Reader
Defence & Strategic Studies Dr. S. B. Paranjape Ph.D. Professor
Defence & Strategic Studies Dr. A. S. Dalvi Ph.D. Professor
Defence & Strategic Studies Dr. V. S. Khare Ph.D. Reader
Defence & Strategic Studies Dr. A. K. Taj Ph.D. Reader
Economics Dr. Smt. D. M. Sathe Ph.D. Professor
Economics Dr. Smt. Rohini Sahni Ph.D. Reader
Education Dr. Sanjeev Sonawane Ph.D. Professor
English Dr. B. S. Korde Ph.D. Professor
English Dr. R. Rajrao Ph.D. Professor
English Dr. S. B. Gokhale Ph.D. Professor
English Dr. A. D. Jaaware Ph.D. Professor
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Foreign Languages Dr. Smt. Ujjwala Joglekar Ph.D. Reader
Geography Dr. V. S. Datye Ph.D. Professor
Geography Dr. V. S. Kale Ph.D. Professor
Geography Dr. B. C. Vaidya Ph.D. Professor
Geography Dr. R. G. Jaybhaye Ph.D. Reader
Geography Dr. Smt. V. U. Joshi Ph.D. Reader
Geography Dr. Smt. V. P. Khairkar Ph.D. Reader
Geology Dr. D. N. Patil Ph.D. Professor
Geology Dr. N. R. Karmalkar Ph.D. Professor
Geology Dr. N. J. Pawar Ph.D. Professor
Geology Dr. S. J. Sangode Ph.D. Professor
Geology Dr. M. G. Kale Ph.D. Reader
Geology Dr. D. C. Meshram Ph.D. Reader
Hindi Dr. T. R. Patil Ph.D. Professor
Hindi Dr. V. N. Bhalerao Ph.D. Professor
Hindi Dr. Smt. J. V. Paranjape Ph.D. Professor
Hindi Dr. S. K. Bhosale Ph.D. Reader
History Dr. Smt. R. P. Ranade Ph.D. Professor
History Dr. D. S. Gaikwad Ph.D. Professor
History Dr. Smt. S. A. Kulkarni Ph.D. Reader
History Dr. S. M. Dixit Ph.D. Reader
History Dr. Smt. R. S. Seshan Ph.D. Reader
IDS HEALTH SCIENCE Dr. Bhushan Patwardhan Ph.D. Professor
IDS HEALTH SCIENCE Dr. Smt. A. J. Kar Ph.D. Reader
Law Dr. D. S. Ukey Ph.D. Professor
Law Dr. T.S.N.Sastry Ph.D. Professor
Law Dr. Smt. J. P. Palande Ph.D. Reader
Law Dr. Smt. D. A. Patel Ph.D. Reader
Library & Information Science Dr. S. K. Patil Ph.D. Professor
Library & Information Science Dr. R. M. Kumbhar Ph.D. Reader
Library & Information Science Dr. S. Y. Bansode Ph.D. Reader
Library & Information Science Dr. Smt. N. J. Deshpande Ph.D. Reader
Marathi Dr. A. W. Awalgaonkar Ph.D. Professor
Marathi Dr. M. J. Jadhav Ph.D. Professor
Marathi Dr. Smt. V. N. Tilak Ph.D. Reader
Marathi Dr. A. V. Sangolekar Ph.D. Reader
Marathi Dr. T. B. Rongate Ph.D. Reader
Mathematics Dr. M. M. Shikare Ph.D. Professor
Mathematics Dr. B. N. Waphare Ph.D. Professor
Mathematics Dr. S. A. Katre Ph.D. Professor
Mathematics Dr. Smt. V. S. Gejji Ph.D. Professor
Mathematics Dr. V. S. Kharat Ph.D. Professor
Mathematics Dr. Hemant Bhate Ph.D. Reader
Mathematics Dr. V. V. Joshi Ph.D. Reader
Microbiology Dr. B. P. Kapdanis Ph.D. Professor
Microbiology Dr. R. L. Deopurkar Ph.D. Professor
Microbiology Dr. B. A. Chopade Ph.D. Professor
Performing Arts Dr. Smt. S. A. Bahulikar Ph.D. Reader
Philosophy Dr. S. S. Deshpande Ph.D. Professor
Philosophy Dr. S. E. Bhelke Ph.D. Professor
Philosophy Dr. Smt. S. Kaur Chahal Ph.D. Professor
Philosophy Dr. P. P. Gokhale Ph.D. Professor
Philosophy Dr. S. S. More Ph.D. Professor
Philosophy Dr. Smt. M. R. Chinchore Ph.D. Professor
Philosophy Dr. R. T. Rathod Ph.D. Reader
Philosophy Dr. Smt. Lata Chhatre Ph.D. Reader
Physics Dr. Smt. A. A. Risbud Ph.D. Professor
Physics Dr. S. I. Patil Ph.D. Professor
Physics Dr. V. B. Asgekar Ph.D. Professor
Physics Dr. Smt. R. C. Aiyer Ph.D. Professor
Physics Dr. D. G. Kanhere Ph.D. Professor
Physics Dr. R. K. Pathak Ph.D. Professor
Physics Dr. C. V. Dharmadhikari Ph.D. Professor
Physics Dr. D. S. Joag Ph.D. Professor
Physics Dr. A. D. Gangal Ph.D. Professor
Physics Dr. P. B. Vidyasagar Ph.D. Professor
Physics Dr. S. D. Dhole Ph.D. Reader
Physics Dr. M. A. More Ph.D. Reader
Physics Dr. Smt. S. R. Mahamuni Ph.D. Reader
Physics Dr. Smt. G. R. Kulkarni Ph.D. Reader
Physics Dr. V. P. Godbole Ph.D. Reader
Physics Dr. Smt. A. L. Kshirsagar Ph.D. Reader
Physics Dr. Biswajyoti Dey Ph.D. Reader
Physics Dr. K. P. Adhi Ph.D. Reader
Physics Dr. A. V. Limaye Ph.D. Reader
Physics Dr. S. D. Sartale Ph.D. Reader
Politics & Public Administration Dr. Y. N. Sumant Ph.D. Professor
Politics & Public Administration Dr. S. V. Palshikar Ph.D. Professor
Politics & Public Administration Dr. Smt. S. Pandit Ph.D. Professor
Politics & Public Administration Dr. Smt. R. A. Deshpande Ph.D. Reader
Politics & Public Administration Dr. M. D. Kulkarni Ph.D. Reader
Politics & Public Administration Dr. H. L. Jagzap Ph.D. Reader
Psychology Dr. P. H. Lodhi Ph.D. Professor
Psychology Dr. Smt. Usha Ram Ph.D. Professor
Psychology Dr. Smt. A. J. Wadkar Ph.D. Reader
Psychology Dr. B. R. Shejwal Ph.D. Reader
Sanskrit & Prakrit Dr. Smt. S. S. Bapat Ph.D. Professor
Sanskrit & Prakrit Dr. Smt. Kanchan Mande Ph.D. Professor
Sanskrit & Prakrit Dr. Smt. S. S. Katre Ph.D. Reader
Sociology Dr. Smt. S. Patel Ph.D. Professor
Sociology Dr. Smt. Swati Shirwadkar Ph.D. Professor
Sociology Dr. Smt. S. S. Tambe Ph.D. Reader
Statistics Dr. Smt. S. A. Paranjape Ph.D. Professor
Statistics Dr. Smt. S. R. Deshmukh Ph.D. Professor
Statistics Dr. Smt. U. V. Naik
Nimbalkar
Ph.D. Professor
Statistics Dr. M. B. Rajarshi Ph.D. Professor
Statistics Dr. D. D. Hangal Ph.D. Reader
Statistics Dr. Ramanathan T.V. Ph.D. Reader
Statistics Dr. M. M. Kale Ph.D. Reader
Statistics Dr. V. K. Gedam Ph.D. Reader
Women's Studies Dr. Smt. S. R. Rege Ph.D. Reader
Zoology Dr. Smt. D. D. Deobagkar Ph.D. Professor
Zoology Dr. Smt. S. S. Ghaskadbi Ph.D. Professor
Zoology Dr. D. N. Deobagkar Ph.D. Professor
Zoology Dr. Smt. S. V. Pandit Ph.D. Reader
Zoology Dr. B. B. Nath Ph.D. Reader
Zoology Dr. A. G. Jadhav Ph.D. Reader
Zoology Dr. Smt. K. R. Pai Ph.D. Reader
Zoology Dr. Smt. V. W. Wankhade Ph.D. Reader
Zoology Dr. R. S. Pandit Ph.D. Reader
यूं.जी.सी. के गाईड लाइन का हाल (पी.एचडी के संदर्भ में )
यूं.जी.सी. के गाईड लाइन का हाल
(पी.एचडी के संदर्भ में
हाल ही में यूं.जी.सी. के गाईड लाइन के आधार पर देश के हर विश्विद्यालय में पी.एचडी के संदर्भ में प्रवेश परीक्षा लेना अनिवार्य हो गया है ,लेकिन कई ऐसे विश्विद्यालय हैं जंहा अभी यह परीक्षा नहीं शुरू हुई. मुंबई विश्विद्यालय भी एक ऐसा ही विश्व विद्यालय है .
पुणे में यह परीक्षा शुरू हो गई है . मुंबई विश्विद्यालय कब जागेगा ?
(पी.एचडी के संदर्भ में
हाल ही में यूं.जी.सी. के गाईड लाइन के आधार पर देश के हर विश्विद्यालय में पी.एचडी के संदर्भ में प्रवेश परीक्षा लेना अनिवार्य हो गया है ,लेकिन कई ऐसे विश्विद्यालय हैं जंहा अभी यह परीक्षा नहीं शुरू हुई. मुंबई विश्विद्यालय भी एक ऐसा ही विश्व विद्यालय है .
पुणे में यह परीक्षा शुरू हो गई है . मुंबई विश्विद्यालय कब जागेगा ?
Thursday, 21 January 2010
जाने क्या सोचती हो,
जाने क्या सोचती हो,
तुम जब भी चुप रहती हो .
खामोश आंसुओं से ,
कितना कुछ कहती हो ,
तुम जब भी चुप रहती हो .
तुम जब भी चुप रहती हो .
खामोश आंसुओं से ,
कितना कुछ कहती हो ,
तुम जब भी चुप रहती हो .
पीएच.डी प्रवेश परीक्षा शुरू
पीएच.डी प्रवेश परीक्षा शुरू
पुणे विश्वविद्यालय की तरफ से यु.जी.सी. गाइड लाइन के अनुसार प्रवेश परीक्षा शुरू हो गई है . इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी पुणे विश्वविद्यालय की वेबसाईट पे उपलब्ध है . यदि आप इस परीक्षा में बैठना चाहते हैं तो www.unipune.ac.in इस वेबसाईट पे जाकर ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं.
पुणे विश्वविद्यालय की तरफ से यु.जी.सी. गाइड लाइन के अनुसार प्रवेश परीक्षा शुरू हो गई है . इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी पुणे विश्वविद्यालय की वेबसाईट पे उपलब्ध है . यदि आप इस परीक्षा में बैठना चाहते हैं तो www.unipune.ac.in इस वेबसाईट पे जाकर ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं.
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Tuesday, 19 January 2010
एक और २६ जनवरी ************************
एक और २६ जनवरी ************************
मित्रो ,
आज का दिन (२६ जनवरी ) हम सभी के लिए गर्व और आदर का दिन है . इस महान लोकतान्त्रिक देश का यह गणतन्त्र दिवस हमारी उम्मीदों ,संकल्पों और आशाओं का जीवंत दस्तावेज है . यह मात्र एक ऐतिहासिक दिन नहीं ,बल्कि मानवता के इतिहास के नीव का दिन है . इतिहास साक्षी है कि हमने कभी भी मानवता को शर्म सार करने वाला कोई भी कार्य नहीं किया . जब कमजोर थे तब भी,और अब जब विश्व कि महाशक्ति बनने जा रहे हैं तब भी .
जिस सपने को अपने आँखों में लेकर भारत आगे बढ़ा है ,वे हैं -शांति,अहिंसा ,प्रेम ,करुना ,प्रगति ,रक्षा और वसुधैव कुटुम्बकम का महान सपना . हमे भी इन्ही सपनो को सच करने के लिए आगे काम करना होगा . भारत के नव निर्माण की बुनियाद में इन्ही मजबूत इरादों के साथ उतरना होगा . न केवल एक खुशहाल भारत बल्कि हमे एक खुशहाल विश्व के लिए काम करना होगा . आज वो समय आ गया है जब सारा विश्व अपने सपनो के लिए विश्वाश भरी दृष्टि से इस देश की तरफ देख रहा है . हम सब की तरफ देख रहा है . विज्ञान ,कला और संस्कृति को आत्मसाथ करते हुए ,हमे पूरे विश्व की तस्वीर बदलने के लिए काम करना होगा. यह देश,यह दुनिया यह पूरी धरा हमारी कर्मभूमि होगी . जात-पात -ऊँच-नीच के भेद को भुला कर ,देश-प्रांत-भाषा और सम्प्रदाय को भुलाकर हमे मानव कल्याण के लिए आगे आना होगा .
आज ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद,और ऐसी ही कई समस्याएँ हमारे सामने हैं. लेकिन इन सब पे हमे विजय पानी होगी . हमे मानवता के सुंदर सपने को साकार करना होगा . हमे विश्व का नेतृत्व करना होगा . शिक्षा ही वह कारगर हथियार है जिसके दम पे हम यह लड़ाई न केवल लड़ सकेगे,बल्कि जीत भी सकेंगे . शिक्षा क्षेत्र में क्रांति की आवश्यकता है , माफ़ करिए लेकिन यह क्रान्ति ६ पे कमीशन लगने मात्र से नहीं आयेगी . इसके लिए हमे अपने अंदर एक आत्म अनुशाशन लाना होगा . अपने काम के प्रति अधिक इमानदार ,परिश्रमी ,शोधपरक और पारदर्शी होना होगा .
ओछी राजनीति के चंगुल से निकल के सृजनात्मक कार्यो से अपनेआप को जोड़ना होगा . आदर्शो और मूल्यों को अपनाना होगा . भूमंडलीकरण और भुमंडीकरन के इस दौर में मानवीय संवेदनाओं और रिश्तो के महत्व को बनाए रखना होगा . याद रहे -हमे वक्त के सांचे में नहीं बदलना है,बल्कि वक्त को अपने साँचे में ढालना है . हमारी लड़ाई अज्ञानता,अन्धविश्वाश,अमानवीयता और असंवेदनशीलता से है ,ना की किसी देश ,धर्म या समाज से . तो आइये एक बेहतर कल के लिए हम सब अपने आज को अपने कर्म से सींचने का संकल्प ले .
जय हिंद ************
मित्रो ,
आज का दिन (२६ जनवरी ) हम सभी के लिए गर्व और आदर का दिन है . इस महान लोकतान्त्रिक देश का यह गणतन्त्र दिवस हमारी उम्मीदों ,संकल्पों और आशाओं का जीवंत दस्तावेज है . यह मात्र एक ऐतिहासिक दिन नहीं ,बल्कि मानवता के इतिहास के नीव का दिन है . इतिहास साक्षी है कि हमने कभी भी मानवता को शर्म सार करने वाला कोई भी कार्य नहीं किया . जब कमजोर थे तब भी,और अब जब विश्व कि महाशक्ति बनने जा रहे हैं तब भी .
जिस सपने को अपने आँखों में लेकर भारत आगे बढ़ा है ,वे हैं -शांति,अहिंसा ,प्रेम ,करुना ,प्रगति ,रक्षा और वसुधैव कुटुम्बकम का महान सपना . हमे भी इन्ही सपनो को सच करने के लिए आगे काम करना होगा . भारत के नव निर्माण की बुनियाद में इन्ही मजबूत इरादों के साथ उतरना होगा . न केवल एक खुशहाल भारत बल्कि हमे एक खुशहाल विश्व के लिए काम करना होगा . आज वो समय आ गया है जब सारा विश्व अपने सपनो के लिए विश्वाश भरी दृष्टि से इस देश की तरफ देख रहा है . हम सब की तरफ देख रहा है . विज्ञान ,कला और संस्कृति को आत्मसाथ करते हुए ,हमे पूरे विश्व की तस्वीर बदलने के लिए काम करना होगा. यह देश,यह दुनिया यह पूरी धरा हमारी कर्मभूमि होगी . जात-पात -ऊँच-नीच के भेद को भुला कर ,देश-प्रांत-भाषा और सम्प्रदाय को भुलाकर हमे मानव कल्याण के लिए आगे आना होगा .
आज ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद,और ऐसी ही कई समस्याएँ हमारे सामने हैं. लेकिन इन सब पे हमे विजय पानी होगी . हमे मानवता के सुंदर सपने को साकार करना होगा . हमे विश्व का नेतृत्व करना होगा . शिक्षा ही वह कारगर हथियार है जिसके दम पे हम यह लड़ाई न केवल लड़ सकेगे,बल्कि जीत भी सकेंगे . शिक्षा क्षेत्र में क्रांति की आवश्यकता है , माफ़ करिए लेकिन यह क्रान्ति ६ पे कमीशन लगने मात्र से नहीं आयेगी . इसके लिए हमे अपने अंदर एक आत्म अनुशाशन लाना होगा . अपने काम के प्रति अधिक इमानदार ,परिश्रमी ,शोधपरक और पारदर्शी होना होगा .
ओछी राजनीति के चंगुल से निकल के सृजनात्मक कार्यो से अपनेआप को जोड़ना होगा . आदर्शो और मूल्यों को अपनाना होगा . भूमंडलीकरण और भुमंडीकरन के इस दौर में मानवीय संवेदनाओं और रिश्तो के महत्व को बनाए रखना होगा . याद रहे -हमे वक्त के सांचे में नहीं बदलना है,बल्कि वक्त को अपने साँचे में ढालना है . हमारी लड़ाई अज्ञानता,अन्धविश्वाश,अमानवीयता और असंवेदनशीलता से है ,ना की किसी देश ,धर्म या समाज से . तो आइये एक बेहतर कल के लिए हम सब अपने आज को अपने कर्म से सींचने का संकल्प ले .
जय हिंद ************
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