Saturday 26 December 2009
अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /
आज समाज विभक्त है /
आडम्बर का चलन बड़ा है ,
गले लगाने का आचरण बड़ा है /
शंकाओं का धर्म बड़ा है ,
बातों में मिठास लिए ,
अविश्वास का करम बड़ा है /
मिलते हैं ऐसे जैसे अपना हो ,
भूले तुरंत जैसे सपना हो ,
खा लेंगे इक थाली में ,
जाती हमेशा याद आती है ,
नाम निकालेंगे देश का ,
पर झगडा होगा हमेशा प्रदेश का ,
सबसे छोटा देश यहाँ हैं ,
अपना स्वार्थ और द्वेष बड़ा है /
Thursday 24 December 2009
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /
अजनबी बाहें न थीं ;
सिमट न सकी वो मेरे सिने में ,
मोहब्बत की उसमे चाहें न थीं /
बदन की प्यास न थी ,
उपेच्छा की आस न थी ,
मोहब्बत से कब इनकार था मुझको ,
उनसे दुरी काश न थीं /
अभी रोष बाकी है ,
अभी तो होश में हूँ मगर ,
प्यार का जोश बाकी है ;
चाहता हूँ बाँहों में भर सिने से लगा लूँ ,
अभी मेरे इश्क का आवेश बाकी है ,
ये यार मेरे अभी इश्क का उदघोष बाकी है ,
आखों में आंसू दिल में दर्द ,
अभी मेरी चाहत का भावावेश बाकी है /
Wednesday 23 December 2009
सजे हो महफ़िल में आखों में चमक नहीं /
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लिप्त हैं वो अभिसार में ,
खोये हैं वो इक दूजे के प्यार में ;
ओठ पी रहे ओठों की मदिरा ,
चंचल मान और काम का कोहरा ;
मचल रहा बदन बदन के प्यास से ,
चहक रहा तन तन के साथ से,
चन्दन सा घर्षण मेंहंदी सी खुसबू ,
उत्तेजित काया मन बेकाबू ,
कम्पित उच्च उरोजों का वो मर्दन ,
चूमता बदन और हर्ष का क्रन्दन ,
उफनती सांसों का महकता गुंजन ,
दुनिया से अनजान पलों में ,
स्वर्गिक वो तनों का मंथन ,
कितना भींच सको अपने में ,
कितना दैविक वो छनों का बंधन ,
भावों की वो चरमानुभुती है ,
प्रेमोत्सव की परिणिति है ;
प्यार सिर्फ अभिसार की राह नहीं है यारों ,
पर प्यार की ही ये भी इक प्रीती है ,
प्यार का बंधन तन मन का आलिंगन ,
कितनी दिव्य ये भी इक रीती है /
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क्या वक़्त था वो भी ,क्या समय था वो भी ,
वो मुझपे मरती थी मै कितना डरता था ;
नजरें जब भी उनसे मिलती थी ,
पलकें पहले मेरी झुकतीं थी ,
पास जो आके वो इतराती ,
मेरी हालत पतली हो जाती ,
बात वो करती जब अदा से ,
कम्पित तन मन थर -थर करता ,
बदन कभी जब बदन से लगता ,
दिल मेरा धक् -धक् सा करता ,
मुस्काती थी तब वो खुल के ,
मै पत्थर का बुत बन जाता ,
हफ्ते बीते ,बीते मौसम ,
बदला साल महीने बीते ,
पता नहीं कब मैंने हाथ वो पकड़ा ,
कब उसने बंधन में जकड़ा ,
कब डूबा उसकी बातों में ,
कब खोया उसकी आखों में ,
वक़्त उड़ा फिर ,नहीं पता चला फिर ,
कब उसकी मगनी कब शादी बीती ,
असहाय हुआ मूक बना कब ,
क्यूँ उसने नहीं मुझको बोला ,
आखों में खालीपन लिए मै डोला ,
अब सिने को सिने की बारी थी ,
अब नए जीवन से लड़ने की तैयारी थी ,
नयी राह पे फिर मैं निकला ,
फिर जीवन को जीने की ठानी थी /
Sunday 20 December 2009
आहत मन को प्यार से जीतो /
आहत मन को प्यार से जीतो ,
जजबातों को भाव से जीतो ;
कठिन समय को सब्र से जीतो ,
जीवन को तुम कर्म से जीतो /
दुविधावों को धर्म से परखो ,
रिश्तों को तुम मर्म से परखो ;
अभावों से जूझना सीखो ;
खुद पे तुम हँसना सीखो /
राहें तेरी राह तकेंगी ,
मंजिल तेरा मान करेगी ,
कठिनाई में अपनो को जीतो ,
अच्छाई में सबको पूंछों /
करुणा मत खोना तुम कभी ,
अभिमान सजोना ना तुम कभी ;
नम्रता गुण है अच्छायी का ;
झुकना आभूषण है ऊँचाई का /
अपने मन पे राज करो तुम ,
माया पे अधिकार करो तुम ;
सत से ना तुम पीछे हटना ;
ना अपना ना दूजा तू करना /
आ इक दूजे के सपने जिए हम /
चाहा था इसी चाल पे उनके ,
मचल उठती थी धड़कने उनकी अदाओं पे ,
क्यूँ चाहता हूँ वो बदले मेरी बातों पे ;
आवारापन मेरी सोचों का जो तुझे भाया था ,
मेरी जिस बेफक्री ने तुझे रिझाया था ,
मेरी ख़ामोशी जो तुझे लुभाती थी ,
क्यूँ मेरी वो आदतें तुझे खिजाती है ;
आ खोजे इक दूजे को हम नयी पनाहों में ,
समझे हालातों संग ढलना नयी फिजाओं में ,
बदले तौर तरीके पर खुद को ना खोये हम ,
आ इक दूजे के सपने जिए हम /
Get ready to borne extra tax if you own more than one car
As confirmed by officials, they are planning to impose extra taxes during the time of registration itself in form of Road Tax, Parking charge , Area pricing etc.
But it’s still to be clear whether by adopting this kind of plan , Govt will be able to control the situation or not, as the loop holes are yet to flash out. There is high probability that hereafter people will start doing the new car registration in different other family member’s name or even in the name of close relatives.
Though there are ifs & Buts in the proposed plan, but the initiative was really needed for controlling the traffic situation of the City. If the plan become successful , I think all the other Metro Cities are going to follow the capital to solve the problem of their Traffic system .
Courtesy : Economic Times.
अभिलाषा १०१ ------------------------------------------------------
माना की हो दूर तुम लेकिन,
दिल से दूर कंहा हो मेरे ?
आंखे बंद कर देख लिया,
चाहा जब भी तुम्हे प्रिये .
--------अभिलाषा १०१
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