हिंदी के प्रश्न पत्र में
“रिक्त स्थानों
की पूर्ति कीजिये”- वाला प्रश्न
बड़ा आसान लगता था
उत्तर
या तो मालूम रहता या फ़िर
ताक-झाक के पता कर लेता
सर जी की नजरें बचा के
किसी से पूछ भी लेता
और रिक्त स्थानों की पूर्ति हो जाती
लेकिन आज
ज़िंदगी की परीक्षाओं के बीच
लगातार महसूस कर रहा हूँ कि –
ज़िंदगी में जो रिक्तता बन रही है
उसकी पूर्ति
सबसे कठिन,जटिल और रहस्यमय है
इन रिक्त स्थानों में
यादों का अपना संसार है
जो भरमाता है
लुभाता है,सताता है
और सुकून भी देता है
इनसे भागता भी हूँ और
इनके पास ही लौटता भी हूँ
इनहि में रचता और बसता भी हूँ
फ़िर चाहता यह भी हूँ कि
इन रिक्तताओं में
पूर्ति का कोई नया प्रपंच भी गढ़ूँ
लेकिन कुछ समझ नहीं पता
किसी अँधेरे कुएं में
उतरती सीलन भरी सीढ़ियों की तरह
बस उतारते जाता हूँ
अपने जीवन से
एक-एक दिन का लिबाज़
पूर्ति की इच्छाओं के बीच
और अधिक रिक्त हो जाता हूँ ।
"ज़िंदगी में जो रिक्तता बन रही है
ReplyDeleteउसकी पूर्ति
सबसे कठिन,जटिल और रहस्यमय है"
***
So true!