Tuesday, 7 May 2013

आवारगी 2


          उसे भुलाने का कोई सलीका नहीं आता
          बिना उसके जीने का तरीका नहीं आता

          मैं दे तो दूँ , सब के सवालों के जवाब
          पर मेरे ओठों पे नाम, उसका नहीं आता

          ख़्वाब मेरे भी टूटे हैं यूँ तो कई लेकिन
          अधूरे ख्वाबों को अधूरा,छोड़ा नहीं जाता

          यक़ीनन होगी तेरी कोई मज़बूरी लेकिन
          मुझसे तो इसकदर ,मुँह मोड़ा नहीं जाता ।  

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

दुष्यंत कुमार की दस प्रसिद्ध ग़ज़लें

दुष्यंत कुमार की 10 ग़ज़लें 1. मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ  वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ  एक जंगल है तेरी आँखों में  मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ  त...