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पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि 73 वर्षीय इंजीनियर की मृत्यु आज सुबह मुंबई के उपनगर सांताक्रूज
स्थित उनके आवास पर हुई। इंजीनियर के परिवार में एक बेटा और एक बेटी है।
वर्ष 1940 में जन्मे इंजीनियर ने विक्रम यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीएससी किया था। वर्ष 1980 से वे ‘द इस्लामिक पर्सपेक्टिव’ नामक पत्रिका का संपादन करने लगे और 1980 के दशक में ही उन्होंने भारत में इस्लाम और सांप्रदायिक हिंसा पर किताब भी लिखी। यह किताब आजादी के बाद के भारत पर शोध पर आधारित था।
वर्ष 1987 में उन्हें यूएसए इंटरनेशनल स्टूडेंट एसेंबली और यूएसए इंडियन स्टूडेंट एसेंबली की तरफ से प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1990 में उन्हें सांप्रदायिक सौहार्द के लिए डालमिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया और डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई।
वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद इंजीनियर की प्रेरणा से सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एंड सेकुलरिज्म (सीएसएसएस) नामक संगठन की स्थापना की गई, जिसके ये चेयरमैन भी नियुक्त किए गए।
इंजीनियर को कई पुरस्कार मिले जिनमें वर्ष 1997 का राष्ट्रीय सांप्रदायिक सौहार्द पुरस्कार और वर्ष 2003 में एसोसिएशन फॉर कम्युनल हारमोनी इन एशिया द्वारा यूएसए पुरस्कार शामिल हैं।
इंजीनियर बोहरा मुस्लिम समुदाय से थे और उनके कार्य का महत्वपूर्ण हिस्सा इस्लाम को बेहतर तरीके से समझने में उनका योगदान है। धर्मग्रंथों की प्रगतिवादी विवेचना के कारण कई बार वे कट्टरपंथी धर्मगुरुओं के साथ विवादों में भी घिरे।
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