दरमियाँ हमारे कुछ
बचा सा है
कुछ सुना, कुछ अनसुना सा है
है मोहब्बत या मोहब्बत कि कसक
दिल में कोई तूफ़ान, रुका सा है
ये जो इतनी याद आती हो तुम
चाहतों में दिल कुछ बहका सा है
मेरे ख़्वाबों से हो के गुज़री हो
तुम
जागती आखों में एक नशा सा है
जिस तरह मैं चाहता हूँ तुम्हें अब
भी
यक़ीनन कोई अजीब फलसफ़ा सा है
कई सालों से हम दोनों के बीच में
बेनाम से रिश्ते का सिलसिला सा है
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