Monday, 3 September 2012

कल रात इन पहाड़ों पे जम के बरसात हुई

 कल रात इन पहाड़ों पे जम के बरसात हुई
सुबह कोहरे की चादर लपेटे,देवदार अलसाये दिखे ।
हवाओं में घुली गुलाबी ठंड और ,
कली- कली में एक शर्माती सी शरारत दिखे ।
अपने आप में लिपटे-सिमटे लोग ,
कुछ निखरते तो कुछ लोग तरसते से दिखे ।
फूल,तितली और स्कूल जाते हुए बच्चे,
सब के सब मुझे , मुसकुराते से दिखे ।
अपनी साँसो में सिगरेट की गर्मी लिए ,
हम भी किसी की याद में खोये से दिखे । 


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