वेश्यावृत्ति और समाज
मानवीय सामाजिक व्यवस्था में वेश्यावृत्ति की
शुरुआत कब से हुई ? इस प्रश्न का उत्तर तलाशने से कही
अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम यह समझने की कोशिश करें कि आख़िर वेश्यावृत्ति है क्या
? और यह समाज पे पनपती कैसे है ?
वेश्यावृत्ति को लेकर कुछ परिभाषाओं पे ध्यान देना जरूरी है । जैसे कि
·
‘‘ The
offering of the body to indiscriminate lewdness for hire. ’’
Oxford
English Dictionary
·
‘‘ Prostitution means the offering for
reward by a female of her body commonly for purpose of general lewdness.’’
(
stone’s justices manual , note- rexv.de munck1918, IKB 635,82 j.p.i 60 )
Prostitution and society/ volume one/prof. Fernando Henriques
.
·
‘‘ A women or girl who for purpose of
financial gain, without emotional sanction or selection , supplies the male
them and for physiological sex gratification .’’
( Biological aspects of prostitution in c.p.
blacker, ed. A social problem group ? oxford 1937, p. 96)/by- Prostitution
and society/ volume one/prof. Fernando Henriques, p. 16
एक बात जो इन परिभाषाओं से स्पष्ट हो रही है वह यह
कि आर्थिक लाभ/ फ़ायदे के लिए स्थापित यौनसंबंध वेश्यावृत्ति कहलाता है। इसमें
भावनात्मक तत्व का अभाव होता है । इस तरह कई परिभाषाएँ वेश्यावृत्ति को लेकर दी जा
सकती है लेकिन मोटे तौर पे शारीरिक सम्बन्धों के लिए पैसों का आदान- प्रदान
वेश्यावृत्ति की मुख्य पहचान मानी जा सकती है । अपने शरीर का संभोग के लिए सौदा
वेश्यावृत्ति है ।
वेश्यावृत्ति के संबंध मे कुछ प्रमुख बातें निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम
से समझी जा सकती हैं । जैसे कि -
1. यह दुनियाँ के प्राचीनतम व्यवसायों में माना
जाता है ।
3. हर धर्म, भाषा, संप्रदाय,जाति और राष्ट्र में इसका अस्तित्व है ।
4. इस व्यवसाय में स्त्री और पुरुष दोनों सहभागी हैं ।
5. समलैंगिक वेश्यावृत्ति भी तेजी से बढ़ रही है ।
6. अधिकांश बार आर्थिक कारणों से यह व्यवसाय चुना
जाता है ।
7. इस व्यवसाय में लड़कियों को धोखे और तस्करी के
माध्यम से बड़े पैमाने पे ढकेला जा रहा है ।
8. समाज के धनी और सम्पन्न लोगों द्वारा छुपे तौर
पे इस व्यवसाय को संरक्षण प्रदान किया जाता रहा है .
9. बाल वेश्यावृत्ति पूरी दुनियाँ के लिए एक गंभीर
चूनौती है ।
10. किशोर लड़कियों की तस्करी इस व्यवसाय में बड़े
पैमाने में की जा रही है ।
आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने आर्थिक और सामाजिक ढांचे को इस तरह खड़ा
करें कि क़ीमत कभी भी हमारे मूल्यों पर हावी न होने पाये । नैतिकता को जीवन का आधार
होना चाहिए ।
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