Tuesday, 18 September 2012

इन रास्तों का अकेलापन


इन बर्फीली सर्द वादियों में
आज अकेले खामोश से रस्तों पे
बहुत दूर तक चलता रहा ।

इन रास्तों का अकेलापन
बिलकुल मेरे अकेलेपन जैसा है
धुंधलके और इंतजार से भरा हुआ ।

बर्फ बेबसी की है
धुंधलका अनिश्चितता का
और रास्ता सिर्फ उम्मीद का ।

मैं और ये रास्ते
किसी के इंतजार में है
हमें किसी का इंतजार है ।

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

International conference on Raj Kapoor at Tashkent

  लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र ( भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज्बेकिस्तान ) एवं ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़ ( ताशकं...