09वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन जोहानसबर्ग, दक्षिण अफ्रिका में आगामी 22- 24 सितंबर को आयोजित किया जा रहा है । इस विश्व हिंदी सम्मेलन में भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र, शिमला ( IIAS ) का प्रतिनिधित्व यंहा राजभाषा सचिव के रूप में कार्यरत श्री साक्षांत माधवराव मस्के जी कर रहें हैं । आप वंहा पे महात्मा गांधी की भाषा दृष्टि पे अपना शोध आलेख प्रस्तुत करेंगे ।
श्री मस्के जी यंहा 1976 से कार्यरत हैं। आप मूल रूप से महाराष्ट्र के लातूर जिले से हैं । आप की शिक्षा औरंगाबाद के मिलिंद कालेज से हुई है । आप ने लाइब्ररी साइंस में स्नातक किया ।
http://www.youtube.com/watch?v=G26uxoA1fjs&feature=share( इस लिंक पे मस्के जी का साक्षात्कार देखें । )
परिवार के तंग आर्थिक कारणों से आप ने काम करते हुवे अपना अध्ययन कार्य जारी रखा । चंपा नामक बकरी पाल के भी आपने अपना अध्ययन जारी रखा । जैन महविद्यालय पुणे में आप ने अपना पहला इंटरव्यू दिया था । उसके बाद आप दिल्ली आए, वो समय आपातकाल का था । आप आए और आप का चयन शिमला के लिए कर लिया गया । जीवन में कई उतार चढ़ाव के साथ आप जीवन में सतत आगे बढ़ते रहे । iias में एसोशिएटशिप कार्यक्रम शुरू कराने में भी आपने पर्दे के पीछे से बड़ा सराहनीय कार्य किया । ओम प्रकाश वाल्मीकि, निर्मल वर्मा और भीष्म साहनी जैसे साहित्यकारों का साथ आप को मिला ।
हिंदी दिवस पे आप अनेकों ऐसे कार्यक्रम चलाते हैं जो शृंखला बद्ध तरीके से साल भर चलते हैं । दलित साहित्य पे आप की एक बड़ी महत्वपूर्ण पुस्तक वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है । पुस्तक का शीर्षक है - परंपरागत वर्ण व्यवस्था और दलित साहित्य । इनके अतिरिक्त कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में आप का आलेख नियमित रूप से छपता रहता है ।
अपने कठोर परिश्रम के दम पे आज आप इस मक़ाम तक पहुंचे हैं ।
श्री मस्के जी यंहा 1976 से कार्यरत हैं। आप मूल रूप से महाराष्ट्र के लातूर जिले से हैं । आप की शिक्षा औरंगाबाद के मिलिंद कालेज से हुई है । आप ने लाइब्ररी साइंस में स्नातक किया ।
http://www.youtube.com/watch?v=G26uxoA1fjs&feature=share( इस लिंक पे मस्के जी का साक्षात्कार देखें । )
परिवार के तंग आर्थिक कारणों से आप ने काम करते हुवे अपना अध्ययन कार्य जारी रखा । चंपा नामक बकरी पाल के भी आपने अपना अध्ययन जारी रखा । जैन महविद्यालय पुणे में आप ने अपना पहला इंटरव्यू दिया था । उसके बाद आप दिल्ली आए, वो समय आपातकाल का था । आप आए और आप का चयन शिमला के लिए कर लिया गया । जीवन में कई उतार चढ़ाव के साथ आप जीवन में सतत आगे बढ़ते रहे । iias में एसोशिएटशिप कार्यक्रम शुरू कराने में भी आपने पर्दे के पीछे से बड़ा सराहनीय कार्य किया । ओम प्रकाश वाल्मीकि, निर्मल वर्मा और भीष्म साहनी जैसे साहित्यकारों का साथ आप को मिला ।
हिंदी दिवस पे आप अनेकों ऐसे कार्यक्रम चलाते हैं जो शृंखला बद्ध तरीके से साल भर चलते हैं । दलित साहित्य पे आप की एक बड़ी महत्वपूर्ण पुस्तक वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है । पुस्तक का शीर्षक है - परंपरागत वर्ण व्यवस्था और दलित साहित्य । इनके अतिरिक्त कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में आप का आलेख नियमित रूप से छपता रहता है ।
अपने कठोर परिश्रम के दम पे आज आप इस मक़ाम तक पहुंचे हैं ।
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