भ्रम है प्यार का या वेदना चाह की,
नीरवता की सकल कमाई या स्वप्न मधुमास की ,
सहज क्षितिज की विकल रागिनी या प्रतिध्वनी स्मृति के विवश प्रवाह की ,
चाहत की पीड़ा या ह्रदय की क्रीडा ,
मंत्रमुग्ध नयन झर झर करता या अपलक आखों का स्वर कुछ कहता /
Tuesday, 26 October 2010
भ्रम है प्यार का या वेदना चाह की
Labels:
hindi kavita,
mohabbat

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वेदना व्यक्त करती रचना !
ReplyDeleteअपनी बात को ब्यान करने मै सफल रचना