दिल कह रहा पुकार लूँ तुझको
रेशमी बालों को सँवार दूँ फिर से
अहसास कहे है तेरी तनहाई
मौसम ने ली है फिर अंगडाई
ह्रदय भ्रमित है किस राह को जावे
क्या कर दे की प्यार को पावे
साँस रुकी है पल स्थिर है
नम आखें और ह्रदय व्यथित है
क्या कहूँ मै तुझको या चुप बैठूं
थामू मै धड़कन या सपनों को बहकूँ
निहार रहा बंद आखों से तुझको
आंख खोल क्या मै तुझको देखूं
दुविधा है फैली चहुँ ओर
किस बंधन से बंधी है डोर
चाह ना छोड़े अपनी आशा
तू ना बदले अपनी भाषा
राह चल रही औ मै स्थिर हूँ
भाव तेरा फिर भी काफ़िर हूँ ?
दिल कह रहा पुकार लूँ तुझको
रेशमी बालों को सँवार दूँ फिर से
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