न आस कर ,न अविश्वास कर ;
जो ना हो सका न उसकी फरियाद कर ;
न इस वक्त को ,अपनी अभिव्यक्ति को ;
यूँही बरबाद कर ;
बच्चों का खूब दुलार कर ,
बड़ों के भावों का ध्यान कर ;
इश्वर का तू भान कर ;
वक्त अगर मिल जाए तुझे ,
तेरा मन इतराए अगर ,
अपने अरमानो का मान कर ;
अहसासों का इजहार कर ;
बाँहों में भर कर मुझे प्यार कर ;
आ कभी तो आखों में बसा ;
भावों में सजा ,ह्रदय में छिपा ;
इकरार कर ;
आ मुझे गले का हार कर /
जी भर के मुझे प्यार कर /
आ मुझे प्यार कर /
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WAKAI, BAHUT BADHIYA KAVITA LIKHE HAIN AAP, MAJAA AA GAYA, AUR-AUR PADHNE KA MAN HO RAHA HAI.
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