Saturday, 25 July 2009

संत कबीरदास

संत काव्य परम्परा में कबीरदास का स्थान सबसे उच् है । उन्होंने संत सिरोमणि बनकर हिन्दी कविता को नई दिशा प्रदान की । धर्मं को अंधविश्वास और आडम्बर से मुक्त करने का प्रयास किया,और हिंदू मुस्लिम एकता का मार्ग दिखलाया।

अपने क्रन्तिकारी और खरे स्वभाव के कारण समाज मे लोकप्रिय थे। संत कबीर एक महात्मा, संतोषी, उदार, हिर्दय सुधारक, क्रन्तिकारी होने के साथ - साथ मस्तमौला स्वभाव से फक्कड़, आदत से अक्खड़ थे ।
बाहरसे वे कठोर और भीतर से कोमल थे। वे जाति और उच्च निच के भावः को नही मानते।
कबीर जी ने भक्ति आन्दोलन भी किया। जिसको sudharvadi काव्य के rupe में manyta मिली ।
कबीर जी के समय samaj का घोर पतन हो रहा था । कबीर जी padhe नही थे , फिर भी क्रन्तिकारी स्वभाव के कारण samaj में क्रांति की awaz uthai और लोगो में gyan की joyti jagai।
संत कबीर जी ने kitabi gyaan को phijol samja।
कबीरदास के उच् विचार और ज्ञान के कारण आज भी bhartiya धर्मं sadhana के history main आदर और प्रेम
के साथ yaad किए jate है ।
आज भी संत कबीरदास किसी parichaye ke mohtaz nahi hai .

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