खुशकिस्मत कितना ये मेजबान है ।
तुम्हारे घर उर्दू,मेरे घर में हिन्दी,
फ़िर भी मोहब्बत का अरमान है ।
मुहमांगी कीमत चुकाने के बाद,
लड़की का बाप करता कन्यादान है ।
हर ग़लत बात पे आवाज उठाओ ,
कदम हर कदम तुम्हारा ही नुक्सान है । ।
दिल कितना मचलता है ,
कोई तारा जब टूटता है ।
वो यकीनन् अजनबी है पर ,
अपनों से भी करीब लगता है ।
जिंदगी बेरंग लगती है तब,
जब हाथो से हाथ छूटता है ।
मैं मना लूँगा,वो जानता है
इसीलिये तो रूठता है ।
मैं उसकी हर बात मानता हूँ ,
वो है की झूठ पे झूठ बोलता है ।