आज जब क्लास रूम मे पंहुचा तो 
मै १०-१५ मिनट देरी से था । लेकिन अगर 
ईमानदारी से कहूं तो यह कोई 
नई बात नही थी । अध्यापक के तौर पर आज भी कितने लोग ठीक समय 
पे क्लास 
में जाते हैं , यह शोध किया जाय तो चौकाने 
वाले नतीजे निकल सकते हैं । फ़िर 
मै कोई अपवाद 
कैसे हो सकता हूँ ?
कभी-कभी इसका कारण बड़ा अजीब सा होता है , जैसे की साथ काम करने वालों के साथ उनका बनकर रहने की मजबूरी । मसलन अगर सभी क्लास 
मे देरी से जाते हैं तो यह आप की नैतिक जिम्मेदारी हो जाती है की आप भी उन्ही की तरह आचरण करें । अन्यथा ''अलग करने '' 
के चक्कर 
मे आप ही सबसे अलग कर दिये जायेंगे । और इस तरह का अलगाव बड़ा ही कस्टप्रद होता है .अतः ''जन्हा रहो सब का बन कर रहो ''यह बहुत जरूरी है । दूसरा कारन यह भी है की आज शिक्षको की हालत सरकारी   नियमो की  वजह  say  और  bigdi है ।  
           अगर महाराष्ट्र  की  बात karoo  to आप  को  जानकर  aaschary हो ga  की  yanha
thaika padhati  pay  sikshako  say काम  लिया  जाता है ।    इस  कारण  यह उसकी भी  मजबूरी  है की   वह  एक  say  अधिक  जगहों  pay  काम  karay और  आमदनी  के  vaikalpik  rasto की talaas karai । 
  to  बात  यहाँ  say shoroo हुई  थी  की  मैं  क्लास  may dair say pahucha ।  गाँधी  जी  के sansmaran का  एक paath  padhanay लगा ।  jismay  way एक  dair say aanay wakai  adhyaapak को samjhatai हैं  की उसकी  dari के  कारण  देश  कितना  peechay हो जा    reha है। जब  paath khatm हुआ  to एक लड़की  nay dhheray say कहा -sir आप भी  dair say aayain हैं  ।  
 मैं  ander ही  ander  kafi  sarminda  हुआ । और  उस  दिन say मैं  nai  यह  tain किया  की  मैं  अब कभी  भी  dari  say  क्लास  may   नही  jaoonga । उस paath  nay  bachho के साथ -साथ  mujhai भी एक nai seekh दी । 
 यही  थी  mari seekh -------------------------------------