कभी-कभी इसका कारण बड़ा अजीब सा होता है , जैसे की साथ काम करने वालों के साथ उनका बनकर रहने की मजबूरी । मसलन अगर सभी क्लास मे देरी से जाते हैं तो यह आप की नैतिक जिम्मेदारी हो जाती है की आप भी उन्ही की तरह आचरण करें । अन्यथा ''अलग करने '' के चक्कर मे आप ही सबसे अलग कर दिये जायेंगे । और इस तरह का अलगाव बड़ा ही कस्टप्रद होता है .अतः ''जन्हा रहो सब का बन कर रहो ''यह बहुत जरूरी है । दूसरा कारन यह भी है की आज शिक्षको की हालत सरकारी नियमो की वजह say और bigdi है ।
अगर महाराष्ट्र की बात karoo to आप को जानकर aaschary हो ga की yanha
thaika padhati pay sikshako say काम लिया जाता है । इस कारण यह उसकी भी मजबूरी है की वह एक say अधिक जगहों pay काम karay और आमदनी के vaikalpik rasto की talaas karai ।
to बात यहाँ say shoroo हुई थी की मैं क्लास may dair say pahucha । गाँधी जी के sansmaran का एक paath padhanay लगा । jismay way एक dair say aanay wakai adhyaapak को samjhatai हैं की उसकी dari के कारण देश कितना peechay हो जा reha है। जब paath khatm हुआ to एक लड़की nay dhheray say कहा -sir आप भी dair say aayain हैं ।
मैं ander ही ander kafi sarminda हुआ । और उस दिन say मैं nai यह tain किया की मैं अब कभी भी dari say क्लास may नही jaoonga । उस paath nay bachho के साथ -साथ mujhai भी एक nai seekh दी ।
यही थी mari seekh -------------------------------------
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