जिससे सिद्ध होता है
एक
रोचक विषय की तरह
नवाचारी प्रवृत्ति को
लगातार खोते चले जाना
कितना दुर्भाग्यपूर्ण है!!
परंपरा से उखड़े लोगों को
निरंतर
आगाह किया गया कि
नवीनता
परंपरा की ही कपोलें हैं लेकिन
उनकी उपेक्षा ने
उन्हें उनकी जड़ों से
काट दिया
शायद ये लोग
जड़ताओं और जड़ों में
अंतर नहीं समझ पाए।
एक नज़ीर के तौर पर
ऐसी बातों का
स्मरण रखना चाहिए
जिससे सिद्ध होता है कि
बाद की कहानी
अपनी पृष्ठभूमि का ही
विकास है ।
Dr Manish Kumar Mishra
Assistant professor
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