अपनी अनुपस्थिति से
उपस्थित रहा
तुम्हारे ज़श्न में
और तुम्हें
लज्जित होने से
बचा पाया ।
अपने मौन से
भेज पाया
अपनी शुभकामनाएं
तुम्हारे लिए
प्रेम के कुछ अक्षत
तुम्हारी ज़िद्द को
बिना तोड़े ।
इसतरह
मिलता रहता हूँ
बिना मिले
कई सालों से
और
निभाता हूँ
कभी तुमसे
किया हुआ वादा ।
.................................... Dr Manishkumar C. Mishra
उपस्थित रहा
तुम्हारे ज़श्न में
और तुम्हें
लज्जित होने से
बचा पाया ।
अपने मौन से
भेज पाया
अपनी शुभकामनाएं
तुम्हारे लिए
प्रेम के कुछ अक्षत
तुम्हारी ज़िद्द को
बिना तोड़े ।
इसतरह
मिलता रहता हूँ
बिना मिले
कई सालों से
और
निभाता हूँ
कभी तुमसे
किया हुआ वादा ।
.................................... Dr Manishkumar C. Mishra
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