Thursday 11 April 2019

11. हाँ मैं भी चिराग़ हूँ पर ।

कुछ सवालात हैं
कि जिनमें 
उलझा सा हूँ 
मैं भी एक चिराग़ हूँ 
बस
बुझा- बुझा सा हूँ ।

अब भी उम्मीद है
कि वो आयेगी ज़रूर 
सो प्यार की राह में 
ज़रा
रुका- रुका सा हूँ । 

न जाने
कितनी उम्मीदों को 
ढोता हूँ पैदल 
अभी चल तो रहा हूँ
पर 
थका - थका सा हूँ । 

यूँ तो आज भी
इरादे 
वही हैं फ़ौलाद वाले 
बस वक्त के आगे
थोड़ा
झुका- झुका सा हूँ ।
                             .............Dr. Manishkumar C.Mishra 

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