Wednesday 7 May 2014

तुम्हारे गले में ख़राश

आजकल देखता हूँ
तुम्हारे गले में ख़राश
जादा हो गयी है ।
पर कमाल यह है कि
ये कोई बिमारी नहीं
तुम्हारी एक नई अदा है 
तुम्हारी बदमाशियों से भरे
नए पाठ्यक्रम का
नया सेमेस्टर ।
तुम्हारे गले की ख़राश
कुछ उलझी हुई बातों को
दरअसल साफ साफ सुनना चाह रही हैं
पर मैं जानता हूँ
प्यार में उलझना आसान है
सुलझना नामुमकिन ।
इसलिए हम उलझने बढ़ा रहे हैं
और तुम हो कि
सब कुछ सुलझा देना चाहती हो
थोड़ा तुम भी उलझने की
कोशिश करो
तुम देखोगी कि तब
तुम्हारी ख़राश मेरे गले में होगी
और तुम प्यार में ।
हम तो पैतरा खेल रहे थे
सो बच के निकल लेंगे
पर छोड़ जाएँगे
मीठी यादों के साथ
तुम्हारे ओठों पे मुस्कान ।
और फिर जब भी कंही
जिक्र होगा तुम्हारा
तो कुछ कहने से पहले
मैं महसूस करूंगा कि
गले की ख़राश बढ़ रही है ।

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