पूजा की आरती सजाने जैसा ही है
मनुहार भी ।
प्रार्थना सा ही पवित्र भी है
इज़हार भी ।
फ़िर देवताओं का क्या
इक़रार भी, इनकार भी ।
मनुहार भी ।
प्रार्थना सा ही पवित्र भी है
इज़हार भी ।
फ़िर देवताओं का क्या
इक़रार भी, इनकार भी ।
भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता (अध्याय 9, श्लोक 22) में "योग" शब्द के माध्यम से अध्यात्म की परिभाषा दी है। यह श्लोक इस प्रकार है— अनन्य...
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