किसी के होने न होने के बीच
एक जगह ज़रूर होती है 
जिसे हमेशा किसी की ज़रूरत होती है । 
हमारे ही अंदर, ये वो रिक्त स्थान हैं 
जो संवेदनाओं से सिंचित 
और प्रेम की ऊष्मा से भरे होते हैं 
ये रिक्त स्थान 
आसक्त नहीं अनुरक्त होते हैं । 
किसी के आने के बाद 
दायित्व और विश्वास के साथ 
ये लुटाने लगते हैं 
संस्कारों से सिंचित 
अनुराग के पुष्प । 
किसी के जाने के बाद 
दुख और अवसाद के बादलों से 
ये अपना ही अभिषेक करते हैं 
एक दम चुपचाप । 
नई आशा और नई उम्मीद के लिए 
प्रेम और विश्वास ज़रूरी है 
अत: ये रिक्त स्थान 
अपने संकल्पों के साथ जीते हैं 
ख़ुद की रिक्तता के साथ 
हमेशा प्रतिक्षारत । 
इन रिक्त स्थानों में 
यादें भरपूर हैं 
वादे-इरादे, न जाने क्या –क्या । 
इन रिक्त स्थानों की पूर्ति 
समर्पण की शर्त पे है 
क्षमा और प्रेम की बुनियाद पे है 
अहम के त्याग पे है 
जीवन जीने की 
अनिवार्य शर्त पे है । 
सोचना कभी 
तुम्हारे अंदर भी 
यह रिक्त स्थान ज़रूर होगा । 
 
 
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..