ONLINE HINDI JOURNAL
Wednesday, 17 July 2013
तृषिता
तुम्हारे पास बैठकर
तुम्हें छूकर
तुम्हें चूमकर
तुम्हें प्यार करना ।
या फ़िर
तुम्हें समझकर
तुम्हारा विश्वास बनकर
तुम्हारी खुशियाँ बनकर
तुम्हें अपनी दुनियाँ बना लेना ।
कहो कभी इससे जादा
माँगा था मैंने ?
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