तुमसे कहना था कि –
तुम्हें
तुमसे जादा चाहनेवाला
जाने क्यों
आज़ भी तुमसे
कुछ कह नहीं पाता ।
तुमसे मिलना
तुम्हें सुनना
तुम्हें हँसाना
आज़ भी पसंद है जिसे
जाने क्यों
आज़ भी तुमसे
कुछ कह नहीं पाता ।
तुम्हें सोचना
तुम्हें समझना
तुम्हें महसूस करना
जिसकी आदत मे शामिल है
जाने क्यों
आज़ भी तुमसे
कुछ कह नहीं पाता ।
तुमसे कहना यही है कि
आज़ भी तुम्हें
उसके कुछ कहने का
इंतजार क्यों है ?
तुम्हें
बुरी लगती है
उसकी
यह आदत कि –
वह
कहता है उसे कुछ कहना है पर
वह
कुछ नहीं कहता ।
शायद
वह
तुमसे कुछ कहने की जगह
सिर्फ
सुनना चाहता है
तुम्हें
।
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